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पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक की मेहमाननवाजी महंगी पड़ी

मेरे विचार
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भारत के साथ रिश्तों में जमी बर्फ पिघलाने आए पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक अविश्वास बढ़ाकर चले गए। उनकी भारत यात्रा बुरी तरह विफल रही। मलिक ने बेसिर-पैर के बयानों से विश्वास बहाली के लिए हो रहे प्रयासों को पटरी से उतार दिया। मलिक को आमंत्रित कर सुशील कुमार शिंदे भी गृह मंत्री के रूप में अपने पहले कूटनीतिक फैसले में असफल साबित हुए। यही नहीं, मुंबई आतंकी हमले (26/11) के बाद पहली बार हुई गृह मंत्री स्तर की बातचीत के बाद संयुक्त वक्तव्य तक जारी नहीं किया जा सका। लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद के बचाव और अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस की तुलना मुंबई हमले से करने जैसे विवादास्पद बयानों से यात्रा की शुरुआत करने वाले मलिक ने जाते-जाते 26/11 के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया।
पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक के भारत दौरे का प्राथमिक उद्देश्य भले ही दोनों देशों के बीच वीजा नियमों में नरमी लाना है, लेकिन उनका 14 दिसंबर (शुक्रवार) को दिल्ली पहुंचना समय के लिहाज से कुछ अजीब-सा प्रतीत होता है। उन्होंने भारतीय संसद पर पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले की 11वीं बरसी के एक दिन बाद ही दिल्ली में कदम रखा। एकबारगी यह मान भी लिया जाए कि तमाम कार्यो के बीच भारत दौरे के लिए यही दिन मिले हों, लेकिन मलिक ने दिल्ली में कदम रखते ही मीडिया के सवालों पर जिस तरह से प्रतिक्रिया दी उससे उन्होंने गड़े मुर्दे उखाड़ने का ही काम किया। साथ ही आतंकी समूहों और उनकी गतिविधियों को पाकिस्तान से मिलने वाली मदद की हकीकत से इन्कार कर भारत का आक्रोश बढ़ाया।
खोखली दलील भारत की यात्रा पर आए पाकिस्तानी गृहमंत्री रहमान मलिक ने नई दिल्ली में कदम रखते ही जिस तरह आतंकी सरगना हाफिज सईद का यह कहकर बचाव किया कि पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती उससे दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की कोशिश पर सवाल खड़े होना तय है। नि:संदेह किसी के भी खिलाफ कोई कार्रवाई प्रमाणों के आधार पर ही हो सकती है, लेकिन कार्रवाई न करने का एक आसान तरीका यह भी है कि संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध प्रमाण जुटाने से ही इन्कार किया जाए। पाकिस्तान पिछले कुछ समय से यही कर रहा है और वह भी तब जब अमेरिका हाफिज सईद को आतंकी करार दे चुका है औरसंयुक्त राष्ट्र उसके संगठन पर पाबंदी लगा चुका है। हाफिज सईद का बचाव करते समय पाकिस्तान बहुत आसानी से यह भूल जाता है कि उसके खिलाफ सुबूत इकट्ठा करने का काम उसे ही करना है। पाकिस्तान ऐसा करने से लगातार इन्कार कर रहा है। स्थिति यह है कि उसके खिलाफ कोई कठोर बयान देने से भी बचा जाता है।
रहमान मलिक की नाकामी द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के इरादे से भारत आए पाकिस्तानी गृहमंत्री रहमान मलिक ने अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान विभिन्न मुद्दों पर जिस तरह के बयान दिए उन्हें देखते हुए यह उम्मीद करना ठीक नहीं कि दोनों देशों के रिश्तों में वास्तव में कोई मजबूती आएगी। यह ठीक है कि दोनों देशों के बीच नए वीजा समझौते पर हस्ताक्षर हो गए और इसके तहत लोगों को एक से दूसरे देश में आवागमन में कुछ सहूलियत मिलेगी, लेकिन इतने मात्र से यह कहना कठिन है कि दोनों देश अपने संबंधों को नए मुकाम पर ले जाने के लिए प्रेरित होंगे। बात चाहे आतंकी सरगना और मुंबई हमले के सूत्रधार हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई की हो अथवा पाकिस्तान में सक्रिय भारत विरोधी अन्य आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने की या फिर कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी धरती पर अमानवीयता का शिकार होने वाले सैन्य अधिकारी सौरभ कालिया की-इन सभी मामलों में रहमान मलिक ने पहले उकसाने वाले बयान दिए और फिर इसके बाद एक-एक कर अपनी ही बातों का खंडन कर दिया।
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के सबसे बड़े झूठ को बेनकाब करते हुए कहा है कि लश्कर-ए-तैयबा के सरगना व मुंबई हमले के षड्यंत्रकारी हाफिज सईद को इस मामले में कभी गिरफ्तार ही नहीं किया गया। जबकि पाकिस्तान के गृह मंत्री भारत यात्रा के दौरान यह दावा करते रहे कि सईद को तीन बार मुंबई हमले में गिरफ्तार किया गया, लेकिन सबूतों के अभाव में वह छूट गया। मगर, इस नए खुलासे से पाकिस्तान की असलियत अब दुनिया के सामने आ गई है।
रहमान मलिक ने भारत से जाते-जाते मुंबई हमले के बारे में जो कुछ कहा वह तो भारतीय जनता को और अधिक उद्वेलित करने वाला है। ऐसा लगता है कि वह अपने इस दौरे में पूरी तैयारी करके नहीं आए थे और उनकी इस यात्रा का एकमात्र मकसद वीजा समझौते पर हस्ताक्षर करना था। यदि वह पूरी तैयारी से आए होते तो उन्हें इस बात का अहसास अवश्य होता कि भारत की जनता विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान से क्या अपेक्षा रखती है? वैसे तो खुद रहमान मलिक ने ही यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी संभावित पाकिस्तान यात्रा के प्रति इसलिए अनिच्छुक हैं, लेकिन यदि आने वाले समय में यह यात्रा होती भी है तो यह नहीं कहा जा सकता कि दोनों देशों के बीच रिश्ते जल्दी पटरी पर आ जाएंगे।
क्या ही अच्छा होता कि पाकिस्तानी गृहमंत्री वीजा समझौते पर दस्तखत करने के बाद सैर या जियारत के लिए निकल जाते। इसके बजाय उन्होंने टीवी पर इंटरव्यू देने और बयान जारी करने की मुहिम छेड़ दी। कभी मुंबई पर हुए आतंकी हमले का जिक्र उसी सांस में समझौता एक्सप्रेस के विस्फोट और बाबरी मस्जिद विध्वंस के साथ किया। कभी कहा कि कारगिल के शहीद सौरभ कालरा की मौत पाकिस्तानी सैनिकों के टॉर्चर से नहीं, ज्यादा ठंड लग जाने से हुई होगी। और कभी 26/11 की घटना के पीछे हाफिज सईद का हाथ साबित करने वाले सबूतों को सिर्फ ‘सूचनाएं’ करार दिया। बाद में भारतीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संसद को यह सूचना देकर न सिर्फ मलिक, बल्कि पाकिस्तान के इरादों पर भी सवाल खड़ा कर दिया कि वहां की पुलिस ने सईद को 26/11 के मामले में अब तक एक बार भी गिरफ्तार नहीं किया है। पाकिस्तान अभी तक सारे कूटनीतिक मंचों पर जोर-शोर से यह दावा करता आ रहा है कि हाफिज सईद को तीन बार गिरफ्तार करने के बाद सिर्फ इसलिए उसको रिहा करना पड़ा, क्योंकि भारत द्वारा मुहैया कराए गए सबूत उसे कठघरे में खड़ा करने के लिए काफी नहीं थे। निश्चय ही यह एक गंभीर स्थिति है क्योंकि इस तरह के सफेद झूठ के लिए इंटरनैशनल डिप्लोमेसी में कोई जगह नहीं होती। दोनों देशों के बीच नए सिरे से बन गए इस संदेह भरे माहौल को खत्म करने के लिए पाकिस्तान सरकार को आने वाले दिनों में तेजी से और पूरी ईमानदारी के साथ कदम उठाने होंगे।
भारतीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को भी मलिक की भारत यात्रा पर बयान देना पड़ा ।केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पाकिस्तान ने मुम्बई हमले की साजिश रचने वाले हाफिज सईद की गिरफ्तारी के मुद्दे पर भारत को गुमराह किया है और हमले के षडयंत्रकारी के रूप में भूमिका के लिए उसकी हिरासत के बारे में जो धारणा पैदा की, वह पेश किए गए दस्तावेजों से मेल नहीं खाती।
पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक के विवादित बयानों ने भाजपा का पारा सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है। खासतौर पर बाबरी विध्वंस मामले की मुंबई के आतंकी हमले से तुलना करने पर मुख्य विपक्ष ने मलिक को आड़े हाथ लिया है। संसद में केंद्र सरकार पर बरसते हुए भाजपा ने कहा कि गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने पर पाक मंत्री से कड़ा प्रतिरोध क्यों नहीं जताया।
पार्टी ने यह भी कहा कि शिंदे ने आखिरकार मलिक के सामने पाकिस्तान में हिंदुओं की दुर्दशा, सरक्रीक मामला, शहीद कैप्टन सौरभ कालिया को पकड़ने के बाद यातना देकर मार डालने जैसे मुद्दे क्यों नहीं उठाए। मलिक के विवादित बयानों पर अब तक खामोश रहे शिंदे संसद के दोनों सदनों में भाजपा के निशाने पर रहे। लोकसभा में वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा और राज्यसभा में रविशंकर प्रसाद ने इस मामले पर सरकार को आड़े हाथ लिया।
पाकिस्तानी गृह मंत्री रहमान मलिक अपनी भारत यात्रा को खत्म करके पाकिस्तान चले गए हैं लेकिन उनकी भारत यात्रा के दौरान उठे विवाद चलते ही जा रहे हैं। सोमवार को भारतीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को मलिक की भारत यात्रा पर बयान देना पड़ा। विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने मलिक और उनकी यात्रा को भारत के लिए नुकसानदेह करार दिया है ।

विवेक मनचन्दा,लखनऊ

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