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बलात्कार से बचाव जागरूकता और सतर्कता ही है

मेरे विचार
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यत्र नार्युस्त पूज्ययंति तत्र रमति देवता। अब तो लगता है जैसे यह श्लोक बस ग्रंथों की ही शोभा बढ़ा रहा है। असल जिंदगी में इसके मायने कहीं खो से गए हैं। हमारे देश में महिलाओं को देवी के दर्जे पर पूजा जाता है, यहां लड़कियां शक्ति का रूप होती है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि आज की तारीख में ये बातें सिर्फ किताबों के पन्नों में समा कर रह गई हैं। आज वक्त ऐसा आ गया है जब नारी की इज्जत को सरे आम रौंदा जा रहा है और वह खामोश जुबान से सब सह रही है।
खून से तराशे जो खून के धब्बे हैं, खामोश चीखों उनमें कई कैद पड़ी है, एक बार फिर। मर्दानगी को तुमने तो मजमा बना दिया, अब दोजख में भी दो गज जमीन ना मिलेगी, एक बार फिर। ऐसे दरिंदों के लिए फांसी की सजा बहुत कम हैं इन्हें उम्र भर तड़पाया जाए तो भी कम होगा। उन्हें ऐसी सजा दी जानी चाहिए ताकि ऐसा कुछ करने से पहले उनकी रूह तक कांप जाएं।
घर हो या ऑफिस, सड़क हो या गलियारा हर जगह महिलाओं को हवस का शिकार बनाया जाता है। हर 40 मिनट में देश में एक बलात्कार और हर 25 मिनट में छेड़छाड़ की एक वारदात की घटना को अंजाम दिया जाता है।
देश की राजधानी दिल्ली में बलात्कार के बढ़ते मामलों को लेकर सदन से लेकर सड़क तक गुस्सा देखा जा रहा है। अब सरकार पर इस बात का दबाव बढ़ गया है कि हाल ही में लोकसभा में पेश किए गए क्रिमिनल लॉ (संशोधन) बिल को मंजूर करे। इस कानून में बलात्कारियों और तेजाब फेंकने वालों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीड़ित लड़की से सफदरजंग अस्पताल में मुलाकात की। सोनिया ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लिखी चिट्ठी में कहा कि इस घटना से सभी स्तब्‍ध हैं। यह शर्म की बात है कि ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही है। दिल्ली जैसे शहर में हमारी बेटियां, बहनें और माताएं सुरक्षित नहीं हैं। सोनिया ने सरकार को तुरंत कठोरतम कदम उठाने को कहा है।दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गृह मंत्री सुशील कुमार ने एक अहम बैठक की।
देश में बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं से चिंतित केंद्र सरकार ऐसे मामलों के दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए कानून में बदलाव करने पर विचार कर रही है। इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के मामलों में दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। वहीं, गृहमंत्रालय ने दुष्कर्म के मामलों में सुनवाई के लिए दिल्ली में 5 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की मंजूरी दे दी।
एक निजी समाचार चैनल के अनुसार 15 दिन के भीतर ड्राफ्ट तैयार कर लिया जाएगा, जिसमें दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा देने का भी प्रावधान होगा। उल्लेखनीय है दिल्ली में गत रविवार रात बस में एक छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात के बाद देशभर में दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग उठने लगी है।
इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 वर्षीय छात्रा के साथ में बस में हुए सामूहिक दुष्कर्म कांड को संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस के आयुक्त को दो दिन के अंदर स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
बलात्कार की घटनाएं न सिर्फ पीड़ितों के जीवन पर कहर बनकर टूटती हैं बल्कि परिवार और समाज पर भी धब्बा होती हैं। ऐसी घटनाएं आधी आबादी (महिलाओं) के मन में खौफ पैदा करती हैं। हमारा समाज और नेतृत्व महिलाओं को इस खौफ से निकालने के बजाए उन पर और अधिक पाबंदी लगाने की वकालत करता है। यह तथ्य हाल फिलहाल में दिए गए नेताओं के बेतुके और फूहड़ बयानों से स्पष्ट होता है।
बलात्कार के मामले में हुड्डा सरकार का सोनिया ने किया था बचाव
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी इसी साल नौ अक्टूबर को हरियाणा में बलात्कार पीड़ितों से मिलने गईं थी, तब उन्होंने भी हुड्डा सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि बलात्कार की घटनाएं तो पूरे देश में हो रही हैं। लेकिन सोनिया गांधी ये नहीं बता पाईं थी कि पूरे देश में बलात्कार क्यों हो रहे हैं? इसका जबाव हरियाणा की ही खाप पंचायत के एक नेता ने दे दिया।
हरियाणा के का एक नेता जींद जिले की खाप के नेता जीतेंद्र छत्तर ने कहा कि फास्ट फूड खाने से युवक-युवतियों का हार्मोनल संतुलन बिगड़ रहा है जिस कारण रेप जैसी घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने हरियाणा में हो रहे बलात्कारों का दोष चीन के चाऊमीन पर मढ़ दिया था । 90 प्रतिशत मामले से सहमति से सेक्स का दुष्परिणाम हरियाणा के ही एक और कांग्रेसी नेता तो इससे भी आगे निकल गए। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य व प्रवक्ता धर्मवीर गोयत ने 11 अक्टूबर को हिसार में सनसनीखेज बयान देते हुए कहा, हरियाणा में सामने आए बलात्कार के ज्यादा मामले दरअसल सहमति से सेक्स के मामले हैं। उन्होंने कहा, मुझे यह बोलने में कोई संकोच नहीं है कि 90 फीसदी मामलों में युवतियां सहमति से जाती हैं। आगे आपराधिक प्रवृत्ति के लोग मिल जाते हैं जो उनके शिकार के लिए तैयार रहते हैं। युवती को पता नहीं होता कि आगे 5-7-10 लोग हैं। फिर वह कहती है कि हमारे साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है।
अमेरिका नेता बलात्कार के कारणों पर भारतीय नेता और खाप नेताओं से अमेरिका सेनेट पद के एक प्रत्याशी ज्यादा पीछे नहीं हैं। अमेरिका के मिजौरी प्रांत से रिपब्लिकन पार्टी के सेनेट प्रत्याशी टॉड एकिन ने कहा उन्होंने कहा कि लेजिटमेट रेप यानी वैध बलात्कार होने पर महिलाओं का शरीर ही गर्भधारण को रोक सकता है। जब एकिन से पूछा गया कि क्या वे गर्भपात का विरोध तब भी करेंगे, जब गर्भ की वजह बलात्कार हो तो उन्होंने कहा, डॉक्टरों के अनुसार मैं ये समझता हूं कि ऐसा होना असामान्य है। अगर सचमुच में बलात्कार हुआ है तो महिला का शरीर उस पूरी प्रक्रिया को रोक सकता है। लेकिन अगर मान लें कि ऐसा नहीं हुआ तो मुझे लगता है कि सजा जरूर मिलनी चाहिए, लेकिन बच्चे को नहीं बल्कि बलात्कारी को। टॉड एकिन ने जहां बलात्कार पीड़ित महिलाओं को गर्भ ढोने की सलाह दी वहीं सीनेट के एक और उम्मीदवार रिचर्ड मर्डोक ने तो बलात्कार को भगवान की इच्छा से जोड़ दिया। उन्होंने कहा, अगर कोई महिला रेप के बाद गर्भवती हो जाती है तो समझ लीजिए, इसमें भगवान की कोई इच्छा है। ऐसा भगवान की इच्छा के बगैर नहीं हो सकता। ऐसा नहीं है कि बलात्कार के मामलों में असंवेदनशील बयान अभी दिए जा रहे हैं। बल्कि बहुत जिम्मेदार लोगों ने भी बलात्कार की घटनाओं पर असंवेदनशील बयान दिए हैं।
टीम अन्ना की प्रमुख सदस्य रही किरण बेदी ने तो एक बार मीडिया से बातचीत में बलात्कार को छोटी-मोटी घटना बता दिया था। बेदी ने कहा था मीडिया भ्रष्टाचार के मामले को सही से नहीं उठा रहा है। इसके बदले वह दुष्कर्म की छोटी घटना पर बहस कर रहा है। मीडिया भी पुलिस के निचले स्तर के अधिकारी द्वारा किए गए बलात्कार को बहस का मुद्दा बना रहा है।
बलात्कार से बचना है तो घर से बाहर न निकले महिलाएं गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर तो बलात्कार के मामले बढ़ने पर महिलाओं को घर में बंद रहने की सलाह दे चुके हैं। इसी साल मार्च में बलात्कार की ताबड़तोड़ वारदातों के बाद गुड़गांव पुलिस ने साफ कह दिया था कि अगर बलात्कार से बचना है तो महिलाओं को घर में ही बंद रहना चाहिए। अगर वह घर से बाहर निकलती हैं तो अपनी सुरक्षा का जिम्मा खुद ही संभालें। यही नहीं, लगातार दो दिन गैंगरेप के मामले सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन ने रात आठ बजे के बाद महिलाओं के ड्यूटी करने पर रोक लगाने का हुक्म दिया था।
आंध्र के डीजीपी व महिला एवं शिशु कल्याण मंत्री आंध्र प्रदेश के डीजीपी वी. दिनेश रेड्डी और कर्नाटक के महिला और शिशु कल्याण मंत्री सीसी पाटिल ने बेहद चौंकाने वाले बयान दिए थे। रेड्डी ने कहा कि महिलाओं के हल्के कपड़े बलात्कार के लिए जिम्मेदार हैं वहीं, पाटिल ने कहा था कि महिला को पता होना चाहिए कि उन्हें कितनी चमड़ी (स्किन) ढंकनी है। रेड्डी ने एक बयान में कहा था, पुरुषों को भड़काने वाले महिलाओं के फैशनेबल और झीने कपड़े बलात्कार के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार है। कर्नाटक के महिला और शिशु कल्याण मंत्री सी सी पाटिल ने रेप से बचने के लिए महिलाओं को हिदायत देते हुए कहा था, मैं निजी तौर पर इस हक में नहीं हूं कि महिलाएं भड़काऊ कपड़े पहनें और यह सोचें कि वे चाहे जो पहनें उन्हें सम्मान की नजरों से देखा जाए।
ममता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मानती हैं कि बच्चों को ढील दिए जाने के कारण बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं। ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा था कि पहले लड़के-लड़की अगर हाथ पकड़कर चलते थे तो उनके पैरंट्स उन्हें डांट देते थे, लेकिन अब तो सब खुल्लम-खुल्ला हो रहा है। इससे भी समाज पर बुरा असर पड़ रहा है। रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं। मीडिया पर भी तंज कसते हुए उन्होंने कहा था कि नेगेटिव खबरें दिखाने से समाज पर बुरा असर पड़ता है इसलिए मीडिया को बलात्कार की खबरें दिखाने से बचना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के नेताओं का हाल तो और भी निराला है। यूपी में विधानसभा चुनावों के दौरान समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने तो बकायदा बलात्कार भत्ते की ही घोषणा कर दी थी। इस साल हुए विधानसभा चुनावों के दौरान सिद्धार्थनगर जिले में एक चुनावी रैली में मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो बलात्कार के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाएंगे और रेप पीड़ितों को सरकारी नौकरी दी जाएगी।मुलायम सिंह यादव की पार्टी अभी सत्ता में हैं, लेकिन राज्य में अपराध या बलात्कार की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है।
बलात्कारियों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है। पहले हैं मानसिक रोगी, जो ज्यादातर बच्चियों के साथ बलात्कार करते हैं। दूसरी श्रेणी में वे आते हैं जिन्हें न पकड़े जाने, न पहचाने जाने का विश्वास होता है या पीड़िता के भयभीत होकर चुप रहने का विश्वास होता है। कई मामलों में ये हत्या भी कर देते हैं, ताकि बात न खुले। तीसरी श्रेणी वह होती है जिन्हें पीड़िता का विरोध नकली लगता है और वे सोचते है कि एक बार संबंध स्थापित होने के बाद यौन सुख मिलने के बाद पीड़िता इनसे हर बार संबंध स्थापित करने लगेगी। ऐसे ज्यादातर नजदीकी रिश्तेदारियों, पड़ोसियों में होते हैं, जहां अपराधी और पीड़िता का आपस में बोल-चाल हंसी-मजाक होता है।
सबसे ज्यादा बलात्कार का शिकार वे लड़कियां हो रही हैं जो अपने पुरुष मित्रों के साथ सुनसान इलाकों में जाती हैं। ऐसे इलाकों के युवा ऐसी लड़कियों के साथ बलात्कार करने के आदी होते हैं। लड़के को पीट कर चुप करा दिया जाता है और लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया जाता है। शर्म के मारे ऐसी घटना का खुलासा न होने के कारण ऐसे अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं और वे लूट-पाट भी करते हैं। ऐसी घटनाएं हर बड़े शहर में रोजाना घटती हैं। ऐसे इलाकों में बलात्कारियों से सचेत करने वाले बोर्ड लगाना और मीडिया में सतत विज्ञापनों से जानकारी देना बहुत ही जरूरी है। साथ ही आपस में संबंध स्थापित करने को इच्छुक युवक-युवतियों को शहर के होटलों का प्रयोग करने से भी नहीं रोकना चाहिए। पुलिस इन्हें पकड़ती है, पैसा वसूलती है, तंग करती है। इसी वजह से ये सुनसान इलाकों में जाते हैं। इस दिशा में कदम उठाने और पुलिसिंग में सुधार करने से ऐसी घटनाओं पर लगाम लग सकता है।
स्कूलों में भी महिलाओं द्वारा बच्चियों को काउंसलिंग देना इस दिशा में अच्छा कदम हो सकता है, जिसमें महिला संगठन हर स्कूल में जा बच्चियों की कक्षा लें। उन्हें शिक्षित करें। हर बच्ची से पूछताछ करें और यदि उनमें से किसी के साथ यदि ऐसा व्यहवार हो रहा हो तो पुलिस में संपर्क कर उस बच्ची को बचा सकें। इसमें महिला पुलिस अधिकारियों की भी मदद ली जा सकती है।
दिल्ली मे हुए गैंग रेप के कारण अलग हैं और उस पर भी नजर डालने की जरूरत है। बाजारवाद द्वारा सामान बेचने के लिए महिलाओं की सुंदरता और जिस्म का प्रयोग, फिल्मों में अश्लीलता का बढ़ता स्तर इसकी वजह है। खासकर गरीब वर्ग के युवा जिनकी पहुंच से ऐसे चमकीली और खूबसूरत महिलाएं दूर होती हैं, वे ऐसी महिलाओं से संबंध स्थापित करने के लिए लालायित रहते हैं। किशोरवय लड़कियों के अपहरण के बाद बलात्कार की अधिकांश घटनाओं के पीछे यही वर्ग लिप्त रहता है। इनके लिए उत्प्रेरक का काम करती है वे नशीली दवाएं जो सस्ते भाव में मेडिकल दुकानों में सहज उपलब्ध होती हैं। किशोर वय, कॉलेज जानेवाली लड़कियों को भी असुरक्षित माहौल में जाने, कम यात्रियों वाली बसों आदि में चढ़ने से सतर्क रहना चाहिए। असुरक्षित माहौल में सहपाठियों के साथ शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। ‘नजर तेरी बुरी और कपड़े मैं पूरे पहनूं’ जैसे नारे सुरक्षित माहौल में ही अच्छे लगते है, लेकिन असुरक्षित जगहों में ऐसे भेड़िए घूम रहे होते हैं जिनका ध्यान आप पर इसलिए केंद्रित हो सकता है कि आपने कम कपड़े पहने हुए हैं। मनोविकार वाले बलात्कारियों को पकड़ने के लिए मनोचिकित्सकों द्वारा उनके लक्षणों, उनको पहचाने जा सकने वाली हरकतों के बारे में भी सार्वजनिक विज्ञापन आने चाहिएं, ताकि समाज ऐसे लोगो को पहचान कर उनका इलाज करवा सके।
हर बलात्कार के बाद मगरमच्छी आंसू बहाने वाले नेता ही अक्सर महिलाओं का सबसे ज्यादा शोषण करते हैं।कांग्रेस के वरिष्ठतम वयोवृद्ध नेता नारायण दत्त तिवारी उम्र के आखिरी पड़ाव में भी अपने सरकारी आवास पर रंगरलियां करते हुए पकडे जाते हैं।,अभिषेक मनु सिंघवी,गोपाल कांडा,अमर मणि त्रिपाठी,महिपाल मदेरणा ,सुशील शर्मा और न जाने कितने ऐसे राजनेता अपनी कारगुजारियों के चलते चर्चा बटोर चुके हैं।ऐसे में यह कहना कि बलात्कारी किसी खास समुदाय या वर्ग से आते हैं उचित नहीं होगा।बलात्कार सिर्फ एक मानसिक विकृति के चलते किया गया यौन अपराध नहीं बल्कि सोच समझ कर पुरे होशो-हवास में किया गया गंभीरतम जुर्म है।और इसके लिए दोषी चाहे जिस भी तबके का हो उसे आम जनता के बच्च कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए।देश के अदालतों में सालों तक बलात्कार के मामलों में जिस तरह से कछुआ गति से अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही होती है उसे भी तीव्र करने के जरुरत है।कोर्ट में बलात्कार कि शिकार महिला का जिरह के दौरान बार-बार बलात्कार होता है।बलात्कार कि शिकार महिला कि सुनवाई सिर्फ महिला जज बंद कमरे में ही करे ।बलात्कार कि शिकार महिला सिर्फ शारीर से ही नहीं बल्कि मन से भी पूरी तरह टूट जाती है।
अगर आप महिला हैं तो याद रखिए कि बलात्कार से बचाव जागरूकता और सतर्कता ही है। घटना होने के पहले अपराधी की नीयत की पहचान की जा सकती है। भारत सभ्य पुरुषों का देश है, पर चंद ऐसे भी है जो ऊपर दी गई श्रेणियों में आते हैं। कानून इन्हें तभी रोक सकता है जब बलात्कार की सजा मौत हो और इस सजा की माफी का अधिकार किसी को न हो।

विवेक मनचन्दा,लखनऊ

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