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रिश्ते कलंकित क्यों होते हैं?

मेरे विचार
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पिछले कई दिनों से गैंगरेप और बलात्कार की घटनाएं हर दिन सुनने के आ रही हैं।इन सबमें एक चीज कॉमन है।और वह है ये सारी घटनाएं रिश्तों को कलंकित करते हैं। इन सबके बीच बड़ा सवाल है कि इंसानी रिश्तों, मानवीय मूल्यों और मर्यादाओं के बीच वो कौन से कारण हैं जिससे बार-बार रिश्ते कलंकित होते हैं? इन सबके बीच समाज मे कहीं-न-कहीं एक बड़ी खाई तो है जिसकी पड़ताल ज़रुरी है। इंसानियत का रिश्ता इंसानों को जानवरों से अलग करता है लेकिन इंसान उस रिश्ते की ही बलि चढ़ा दे तो फिर फर्क क्या रहेगा?
शायद ही कोई दिन ऐसा बीतता होगा जबकि ख़बरों में रिश्तों के कलंकित होने की ख़बरें न होती होंगी ।दिल्ली के बहुचर्चित दुष्कर्म के बाद एक और बस में एक लड़की के साथ छेड़-छाड़ की घटना प्रकाश में आई थी ,बाद में खुलासा हुआ कि उस लड़की का मौसेरा भाई भी कई वर्षों से उसका यौन शोषण कर रहा था।
ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है जिसमे विश्वास आधारित रिश्तों के दरकने की बाते सामने आई हो और ऐसी घटनाएँ जिस तरह से दिनों-दिन बढ़ रही है वह एक सभ्य समाज के विनाश के पूर्व की आहट है।तेजी से विकसित हो रहे इस शहर में ऐसी घटनाएं सवालिया निशान लगाती हैं। हालांकि सच यह भी है कि अंतर्विरोधों मे घिरे इस समाज से ऐसी समस्याएं एक झटके मे खत्म नहीं हो सकती लेकिन सामाजिक व्यवस्था की असफलता की जिम्मेदारी कौन लेगा? दरअसल हम उस समाज मे रहते हैं जो अपनी सोच को बदलना नहीं चाहता।
हर रिश्ते की अपनी एक मर्यादा होती है लेकिन जब कोई मर्यादा को लांघ जाता है तो रिश्ते अपनी गरिमा ही नहीं विश्वास भी खो बैठते हैं। आखिर क्यों बन जाते हैं ऎसे अमर्यादित रिश्ते जिनकी समाज में कोई जगह नहीं है! कई बार कुछ ऎसी शर्मनाक घटनाएं अखबारों की सुर्खियां बनी होती हैं जिन्हें पढ़कर मन घृणा और शर्म से भर जाता है और ऎसी खबरों को पढकर बस एक ही ख्याल दिमाग में आता है कि रिश्तों की मर्यादा को कौन सा कीडा खाए जा रहा है। आखिर समाज किस गर्त में जा रहा है,जहां ल़डका अपनी मौसी की बेटी को भगाकर ले गया, कहीं दामाद ने सास के संग भागकर विवाह कर लिया तो कहीं बहू ने अपने ससुर को पति बना लिया तो कहीं भताजे ने अपनी हमउम्र बुआ से ही विवाह कर लिया।रिश्तों को कलंकित कर देने वाले ए कृ त्यों के पीछे भी लोगों ने तर्क गढ़ा प्यार का। क्या वाकई ये सभी घटनाएं प्यार को दर्शाती हैं। ब़डे बुजुर्गो से ये तो सुना था कि इंसान प्यार में जात-पांत, धर्म नहीं देखता है लेकिन ये कभी नहीं सुना था कि इंसान प्यार में रिश्तों की पवित्रता की दहलीज को भी लांघ जाता है। शर्म से गडा देने वाली ये घटनाएं आखिर क्यों संस्कारों से भरे इस समाज में घटित हो रही हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार ऎसी घटनाएं जीवन में आई तीव्रता का परिणाम है और जब जिंदगी की ग़ाडी अति तीव्रता से चलती और बिना किसी नियम के चलती है तो दुर्घटना होने के अवसर उतने ही बढ़ जाते हैं। कई बार ऎसा भी होता है कि लडका या लडकी अपने मौसेरे या चचरे भाई-बहन में अपने भावी जीवनसाथी के गुण देखने लगते हैं। कई कारण होते हैं जिनकी वजह से अमुक लडका या लडकी उनके रोलमॉडल बन जाते हैं और वैसे ही गुण वाला इंसान या वही इंसान उनके दिलो-दिमाग में रच बस जाता है तो वो उसे पाने के लिए रिश्तों की मर्यादा को तोडने से भी परहेज नहीं करते हैं।
कैसे बचाएं रिश्तों की मर्यादा तभी होती है जब सभी व्यक्ति अपने परिवार में संस्कारों और रिश्तों के सम्मान की भावना को साथ लेकर चलेंगे तो कोई भी व्यक्ति गलत काम करने से पहले सौ बार सोचेगा। परिवार में रिश्तों की गरिमा रहे इसके लिए अभिभावकों को ही गहराई से समझना होगा- बच्चों से बातचीत करें-माता-पिता दोनों ही नौकरीपेशा क्यों न हों, घर आने के बाद अपने बच्चों के साथ बैठ बातचीत जरूर करें । परिवार के सभी लोग रात का भोजन साथ ही करें। इसी दौरान पूरे दिन में हुई बातों और कार्यों के बारे में अपने बच्चों से पूछें, उनके दोस्तों व उनकी संगत के बारे में जानकारी अवश्य लें।रिश्तों की सीमा में रहें- घर के बडे सदस्य हों या छोटे , सभी को अपनी सीमा में रहना सिखाएं।
अगर हम अपनी आनेवाली पीड़ी को संस्कार और नैतिकता की बातों पर अमल करना सिखायेंगे तो निश्चित तौर पर समाज में इस प्रकार की घटनाएँ भले ही पूरी तरह से ख़तम ना हो सके पर कुछ हद तक कम तो जरुर होंगी।
विवेक मनचन्दा ,लखनऊ

पिछले कई दिनों से गैंगरेप और बलात्कार की घटनाएं हर दिन सुनने के आ रही हैं।इन सबमें एक चीज कॉमन है।और वह है ये सारी घटनाएं रिश्तों को कलंकित करते हैं। इन सबके बीच बड़ा सवाल है कि इंसानी रिश्तों, मानवीय मूल्यों और मर्यादाओं के बीच वो कौन से कारण हैं जिससे बार-बार रिश्ते कलंकित होते हैं? इन सबके बीच समाज मे कहीं-न-कहीं एक बड़ी खाई तो है जिसकी पड़ताल ज़रुरी है। इंसानियत का रिश्ता इंसानों को जानवरों से अलग करता है लेकिन इंसान उस रिश्ते की ही बलि चढ़ा दे तो फिर फर्क क्या रहेगा?

शायद ही कोई दिन ऐसा बीतता होगा जबकि ख़बरों में रिश्तों के कलंकित होने की ख़बरें न होती होंगी ।दिल्ली के बहुचर्चित दुष्कर्म के बाद एक और बस में एक लड़की के साथ छेड़-छाड़ की घटना प्रकाश में आई थी ,बाद में खुलासा हुआ कि उस लड़की का मौसेरा भाई भी कई वर्षों से उसका यौन शोषण कर रहा था।

ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है जिसमे विश्वास आधारित रिश्तों के दरकने की बाते सामने आई हो और ऐसी घटनाएँ जिस तरह से दिनों-दिन बढ़ रही है वह एक सभ्य समाज के विनाश के पूर्व की आहट है।तेजी से विकसित हो रहे इस शहर में ऐसी घटनाएं सवालिया निशान लगाती हैं। हालांकि सच यह भी है कि अंतर्विरोधों मे घिरे इस समाज से ऐसी समस्याएं एक झटके मे खत्म नहीं हो सकती लेकिन सामाजिक व्यवस्था की असफलता की जिम्मेदारी कौन लेगा? दरअसल हम उस समाज मे रहते हैं जो अपनी सोच को बदलना नहीं चाहता।

हर रिश्ते की अपनी एक मर्यादा होती है लेकिन जब कोई मर्यादा को लांघ जाता है तो रिश्ते अपनी गरिमा ही नहीं विश्वास भी खो बैठते हैं। आखिर क्यों बन जाते हैं ऎसे अमर्यादित रिश्ते जिनकी समाज में कोई जगह नहीं है! कई बार कुछ ऎसी शर्मनाक घटनाएं अखबारों की सुर्खियां बनी होती हैं जिन्हें पढ़कर मन घृणा और शर्म से भर जाता है और ऎसी खबरों को पढकर बस एक ही ख्याल दिमाग में आता है कि रिश्तों की मर्यादा को कौन सा कीडा खाए जा रहा है। आखिर समाज किस गर्त में जा रहा है,जहां ल़डका अपनी मौसी की बेटी को भगाकर ले गया, कहीं दामाद ने सास के संग भागकर विवाह कर लिया तो कहीं बहू ने अपने ससुर को पति बना लिया तो कहीं भताजे ने अपनी हमउम्र बुआ से ही विवाह कर लिया।रिश्तों को कलंकित कर देने वाले ए कृ त्यों के पीछे भी लोगों ने तर्क गढ़ा प्यार का। क्या वाकई ये सभी घटनाएं प्यार को दर्शाती हैं। ब़डे बुजुर्गो से ये तो सुना था कि इंसान प्यार में जात-पांत, धर्म नहीं देखता है लेकिन ये कभी नहीं सुना था कि इंसान प्यार में रिश्तों की पवित्रता की दहलीज को भी लांघ जाता है। शर्म से गडा देने वाली ये घटनाएं आखिर क्यों संस्कारों से भरे इस समाज में घटित हो रही हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार ऎसी घटनाएं जीवन में आई तीव्रता का परिणाम है और जब जिंदगी की ग़ाडी अति तीव्रता से चलती और बिना किसी नियम के चलती है तो दुर्घटना होने के अवसर उतने ही बढ़ जाते हैं। कई बार ऎसा भी होता है कि लडका या लडकी अपने मौसेरे या चचरे भाई-बहन में अपने भावी जीवनसाथी के गुण देखने लगते हैं। कई कारण होते हैं जिनकी वजह से अमुक लडका या लडकी उनके रोलमॉडल बन जाते हैं और वैसे ही गुण वाला इंसान या वही इंसान उनके दिलो-दिमाग में रच बस जाता है तो वो उसे पाने के लिए रिश्तों की मर्यादा को तोडने से भी परहेज नहीं करते हैं।

कैसे बचाएं रिश्तों की मर्यादा तभी होती है जब सभी व्यक्ति अपने परिवार में संस्कारों और रिश्तों के सम्मान की भावना को साथ लेकर चलेंगे तो कोई भी व्यक्ति गलत काम करने से पहले सौ बार सोचेगा। परिवार में रिश्तों की गरिमा रहे इसके लिए अभिभावकों को ही गहराई से समझना होगा- बच्चों से बातचीत करें-माता-पिता दोनों ही नौकरीपेशा क्यों न हों, घर आने के बाद अपने बच्चों के साथ बैठ बातचीत जरूर करें । परिवार के सभी लोग रात का भोजन साथ ही करें। इसी दौरान पूरे दिन में हुई बातों और कार्यों के बारे में अपने बच्चों से पूछें, उनके दोस्तों व उनकी संगत के बारे में जानकारी अवश्य लें।रिश्तों की सीमा में रहें- घर के बडे सदस्य हों या छोटे , सभी को अपनी सीमा में रहना सिखाएं।

अगर हम अपनी आनेवाली पीड़ी को संस्कार और नैतिकता की बातों पर अमल करना सिखायेंगे तो निश्चित तौर पर समाज में इस प्रकार की घटनाएँ भले ही पूरी तरह से ख़तम ना हो सके पर कुछ हद तक कम तो जरुर होंगी।

विवेक मनचन्दा ,लखनऊ

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