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आसाराम बापू संत नहीं शैतान है

मेरे विचार
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हमेशा विवादों में रहने वाले आसाराम बापू अपनी करतूत और बयान की वजह से एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार उन पर एक भक्त ने आशीर्वाद लेने के लिए पैर छूने पर लात मारने और प्रवचन में यमदूत को गाली देने का आरोप लगाया है। मध्य प्रदेश के विदिशा में आसाराम के सत्संग का कार्यक्रम था। उन पर श्रद्धा रखने वाले अमान सिंह दांगी नाम के शख्स ने न्यूज चैनलों से बातचीत में आरोप लगाया है कि प्रवचन खत्म होने के बाद वह जैसे ही आशीर्वाद लेने के लिए आसाराम बापू के कदमों में झुके उन्होंने उन्हें लात मार कर अपने से दूर गिरा दिया। दांगी का कहना है कि इसके बाद वह काफी देर तक ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे। दांगी ने यह भी कहा कि आसाराम ने प्रवचन के दौरान भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की।यही नहीं इसी कार्यक्रम में भक्तों को संबोधित करते हुए आसाराम ने यमदूत के लिए भी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया।दांगी ने मीडिया से कहा कि वह पहले आसाराम की बड़ी इज्जत करते थे लेकिन इस प्रकरण के बाद उनके विचार बदल गए हैं। मीडिया में इस मामले को दिखाए जाने के बाद भी आसाराम की ओर से अब तक कोई टिप्पणी नहीं आई है।
वैसे भी आसाराम बापू का विवादों से पुराना नाता है। उन्होंने कुछ महीने पहले गाजियाबाद में भी एक पत्रकार के सवाल पूछने पर उसे थप्पड़ रसीद कर दिया था। इसके कुछ दिनों बाद उन्होंने दिल्ली के बहुचर्चित गैंग रेप प्रकरण में पीड़ित लड़की को भी दोषी बता दिया था। जब मीडिया उनके बयान को दिखाने लगा था तो उन्होंने मीडिया को भी कुत्ता कह डाला था।
दिल्‍ली गैंगरेप की शिकार दामिनी को ही दोषी ठहराने या आलोचकों की तुलना कुत्‍ते से करने वाले आसाराम बापू हमेशा से ही विवादों में रहे हैं। कोयला और लकड़ी बेचने वाले पिता के बेटे आसाराम हरपालानी के आसाराम बापू बनने की कहानी भी कम विवादास्‍पद नहीं है।
विभाजन के समय आसाराम का परिवार पाकिस्तान से गुजरात आ गया था। 1941 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पैदा हुए आसाराम हरपालानी के पिता कोयला और लकड़ी बेचते थे। लेकिन आसाराम बापू की सत्ता और धनी लोगों के साथ दोस्ती ने उन्हें आज लाखों लोगों का पूज्यनीय बना दिया है।करीब 42 साल पहले गुजरात में आसाराम हरपालानी को किश्‍तों में करीब 10 एकड़ उपजाऊ जमीन मिली। इसी जमीन पर उन्होंने अपना पहला आश्रम बनाया और आज उनके दुनिया भर में 400 से ज्यादा आश्रम और लाखों भक्त हैं। जल्द ही उन्होंने अपना सरनेम हरपालानी की जगह पर बापू कर लिया।
शुरुआत में मोटेरा आश्रम में आसाराम को सुनने वालों का टोटा ही रहता था, लेकिन स्थानीय नेताओं ने यहां जाना शुरू किया। इसके बाद आम लोगों की संख्‍या भी बढ़ने लगी। आसाराम के भाषणों का मुख्य आकर्षण उनकी आक्रामकता थी जिनमें वह लोगों को ‘जैसे को तैसा’ वाली नैतिकता का पाठ देते थे। मोटेरा आश्रम में आज भी इसी तरह के भाषणों को सुनने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। आसाराम बापू के भक्‍तों में कई रसूखदार लोग शामिल हैं। बताया जाता है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, अमित शाह समेत कई नेता उनके आश्रम में जाते हैं। 2005 में सरस्वती नदी को दोबारा जीवित करने के गुजरात सरकार के अभियान में आसाराम को ही मुख्य अतिथि बनाया गया था और गुजरात सरकार की उपलब्धियों को बताने के लिए 2007 में कुछ समय के लिए वन्दे गुजरात टीवी चैनल शुरू किया था तो इसमें लगातार आसाराम बापू की फुटेज दिखाई जाती थी। मीडिया का ध्यान उनकी कारगुजारियों पर नहीं था। तब तक वह काफी मीडिया फ्रैंडली भी थे। लेकिन गुजरात के आश्रम में दो बच्चों की मौत के बाद आश्रम में गई महिला पत्रकारों के साथ उनके चेलों ने बदतमीजी की थी और एक पत्रकार को बंदी तक बना लिया था जिसे बाद में पुलिस ने छुड़ाया था।
आसाराम और उनके ट्रस्ट पर जमीन कब्जाने के कई आरोप हैं। फरवरी 2009 में गुजरात सरकार ने विधानसभा में स्वीकार किया कि आसाराम के आश्रम ने 67,089 वर्ग मीटर जमीन कब्जा ली है। इस समय आसाराम के खिलाफ अलग-अलग जगहों पर एक दर्जन से ज्यादा केस चल रहे हैं। मोटेरा के अशोक ठाकुर ने बापू के आश्रम पर अपनी पांच एकड़ जमीन कब्जाने का आरोप लगाया है। अशोक का कहना है कि उनकी जमीन आश्रम से लगी हुई है और गुरु पूर्णिमा के दिन उनकी जमीन में टेंट लगाये जाते थे। आश्रम वालों को टेंट लगाने की इजाजत उनके पिता ने दी थी। उनके पिता की मौत के बाद आश्रम वालों ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया और कहा कि यह जमीन उनके पिता ने आश्रम को दान में दी थी। हालांकि आश्रम इस बारे में कोई सबूत नहीं दे सका था।
इसके अलावा एक आदमी ने आसाराम के प्रवचन में मशीन से टॉफियों की बौछार करने के कारण अपनी एक आंख फूटने का भी आरोप लगाया है। दूसरा केस सूरत के जहांगीरपुरा गांव के किसान अनिल व्यास ने किया है। यहां के आश्रम पर कई लोगों की जमीनें कब्जाने के आरोप हैं। व्यास आश्रम से अपनी 34,400 वर्ग मीटर जमीन वापस लेने का केस लड़ रहे हैं। व्यास का कहना है कि मामला अदालत में होने के बावजूद गुजरात सरकार ने 24 जनवरी 1997 को जमीन के अधिग्रहण को नियमित कर दिया था। हालांकि 8 दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट ने जमीन के अधिग्रहण को गैरकानूनी करार दिया और फैसला किसान के पक्ष में दिया। इसके बाद आश्रम ने इस फैसले के खिलाफ डिविजन बेंच में अपील की थी।
दिल्ली की विधवा महिला सुदर्शन कुमारी ने भी आसाराम के ट्रस्ट के खिलाफ केस दर्ज कराया है। महिला का कहना है कि उसे धोखा देकर कुछ कागजों पर साइन लिए गए थे जिसे बाद में राजौरी गार्डन में उनके मकान का ग्राउंड फ्लोर आश्रम को दान में दिया दिखाया गया। महिला ने कहा है कि 6 जुलाई 2000 को आश्रम के सत्संग में ले जाने के बहाने उसे जनकपुरी के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस ले जाया गया। यहां उसे हिप्नोटाइज करके कुछ कागजों पर साइन ले लिए। बाद में नगर निगम अधिकारियों के आने पर उसे पता चला कि उसका ग्राउंड फ्लोर उससे ले लिया गया है। गुड़गांव के पास राजकोरी गांव में बने आश्रम के अधिकारियों पर फर्जी दस्तावेज देकर आश्रम का रजिस्ट्रेशन कराने का आरोप है। राजकोरी निवासी भगवानी देवी ने आसाराम के आश्रम पर अपनी जमीन कब्जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट की शरण ली है।सरकारी एजेंसियों ने भी आसाराम के ट्रस्ट पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाए हैं। 2008 में बिहार स्टेट बोर्ड ऑफ रिलीजियस ट्रस्ट ने आसाराम के ट्रस्ट को अपनी 80 करोड़ रुपये की जमीन कब्जाने पर नोटिस दिया था। अप्रैल 2007 में पटना हाईकोर्ट से रिटायर्ड जज ने आसाराम बापू और उनके चेलों पर अपनी जमीन पर कब्जा करने की शिकायत दर्ज कराई थी।रतलाम में आसाराम के ट्रस्ट को लंबी मुकदमे बाजी के बाद जमीन खाली करनी पड़ी थी।
जनवरी 2007 में राजकोट आश्रम में करीब 4।7 लाख रुपये की बिजली चोरी भी पकड़ी गई थी। इतने विवादित होने के बावजूद आसाराम और चर्चा में आते गए हैं। उन्हें गुजरात सरकार के सभी दफ्तरों में देखा जा सकता है और राज्य परिवहन निगम की बसों पर उनके फोटो और संदेश भी लिखे हुए हैं।
अभी हाल में आसाराम के दिल्ली गैंगरेप पर दिए बयान, गलती एक तरफ से नहीं होती है, से पूरे देश का ध्यान उनकी तरफ गया लेकिन गुजरात का उनका मोटेरा आश्रम जुलाई 2008 से ही लोगों की निगाह में है। उनके इस आश्रम के बाल केंद्र में दाखिला लेने के एक महीने बाद ही 3 जुलाई को दस साल के दो चचेरे भाइयों अभिषेक और दीपेश वाघेला की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी। बच्चों के परिवार वालों ने उनकी हत्या करने का आरोप लगाया था। 23 जनवरी 2013 को अहमदाबाद कोर्ट ने इस हत्या में आरोपी उनके आश्रम के सात शिष्यों को समन जारी किया था। पहले इन बच्चों के घरवालों को बताया गया था कि दोनों बच्चे आश्रम से भाग गए हैं।
बच्चों के घरवाले एक महीने में आठ बार उनसे मिलने आश्रम गए थे। तीन जुलाई को उन्हें आश्रम से फोन पर पूछा गया कि क्या बच्चे घर पहुंचे हैं? लेकिन बच्चे घर पर नहीं थे। आश्रम में जाकर बच्चों के बारे में पूछने पर गुरुकुल के व्यवस्थापक पंकज सक्सेना ने उनसे पीपल के पेड़ के 11 चक्कर लगाकर अपने बच्चों के बारे में पूछने को कहा। परिवार वालों ने ऐसा ही किया पर कुछ नहीं हुआ। आश्रम वालों ने उन्हें पुलिस में शिकायत भी नहीं करने दी। अगली सुबह पुलिस में शिकायत दर्ज करने गए तो पुलिस ने शिकायत दर्ज करने के बजाय उन्हें ही डांटा। बाद में आश्रम के पास दोनों बच्चों के शव मिले लेकिन पुलिस ने फिर भी कार्रवाई नहीं की। बाद में मीडिया द्वारा मामले को उठाने पर आश्रम वालों ने पत्रकारों को ही पीटना शुरू कर दिया था।
इस घटना के बाद आश्रम में तांत्रिक क्रियाएं करने के आरोपों को बल मिला। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में आसाराम के ही दूसरे आश्रम में दो और बच्चे मरे पाए गए थे। ये बच्चे रामकृष्ण यादव (नर्सरी) और वेदांत मौर्या (पहली क्लास) स्टूडेंट थे। इन दोनों की लाश 31 जनवरी 2008 को हॉस्टल के टॉयलेट में मिली थी। गुस्साए लोगों ने आश्रम के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया था और इसे बंद करने की मांग की थी।गुजरात में मृत मिले बच्चों के परिजनों ने मामले की जांच के लिए गठित जस्टिस डीके त्रिवेदी कमीशन के सामने कहा था कि उनके बच्चों की जान काले जादू और तांत्रिक क्रिया में गई थी। इस कमीशन का गठन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों के बढ़ते विरोध के बाद किया था। हालांकि कमीशन की कार्रवाई भी विवादों के घेरे में रही थी और गुजरात हाईकोर्ट ने कमीशन की आसाराम बापू और उनके बेटे पर कठोर न होने की निंदा भी की थी।
आसाराम के करीबी और पूर्व सचिव राजू चांडाक और निजी फिजिशियन रहे अमृत प्रजापति ने आश्रम में कई गैरकानूनी धंधों के होने की बात कही थी। लेकिन त्रिवेदी कमीशन के सामने पेश होने से पहले चांडाक को तीन गोलियां मारी गईं और प्रजापति का आरोप रहा है कि उन पर आश्रम से जुड़े लोगों ने कम से कम छह बार हमला किया है।
बीएएमएस की पढ़ाई करने वाले प्रजापति ने ‘ओपन’ पत्रिका को बताया था कि वह आश्रम में डॉक्टर की जगह खाली होने पर 1988 में पहली बार आसाराम से मिला था। उसे खाने और रहने के अलावा 15000 रुपये मासिक वेतन देना तय हुआ। उसे सूरत आश्रम में आयुर्वेदिक लैब बनाने का काम दिया गया। शिष्यों की संख्या बढ़ने पर आसाराम ने दवाइयों की गुणवत्ता कम करने पर जोर दिया। गाय के घी की जगह मिलावटी घी का इस्तेमाल होने लगा। प्रजापति कहते हैं कि वह आश्रम के भ्रष्टाचार और महिलाओं के शोषण का गवाह हैं। वह कहते हैं, ‘उनका निजी फिजिशियन बनने पर मैंने ये चीजें बहुत नजदीकी से देखी हैं। मैं आसाराम के कमरे में कभी भी जा सकता था। उनकी मां की मौत होने के अगले दिन मैं उनके दिल्ली के आश्रम में गया। वहां एक महिला लेटी हुई थी। इसके आगे मैं नहीं देख सका।’ प्रजापति बताते हैं कि धमकाए जाने पर 20 अगस्त 2005 को उन्होंने आश्रम छोड़ दिया। सितंबर 2005 को उन्हें गाजियाबाद में करीब 15 लोगों ने पीटा। उन्होंने प्रजापति को आसाराम के खिलाफ बोलने पर जान से मारने की धमकी दी।
जबलपुर स्थित उनके आश्रम के एक शिष्‍य की रहस्‍यमय मौत को लेकर वह और उनका आश्रम सवालों के घेरे में आए हैं। मृतक राहुल पचौरी के परिजनों का कहना है कि वह आसाराम का करीबी था और उनके कई राज जानता था। आश्रम में बनने वाली दवाइयों में गडबड़ी से संबंधित बातें वह आसाराम को बताने वाला था। राहुल के पिता इन्‍हीं सब बातों को अपने बेटे की ‘हत्‍या’ की वजह बता रहे हैं। पुलिस अभी इस आरोप की जांच कर रही है।
आसाराम के केंद्रीय मीडिया प्रभारी डॉ। सुनील वानखेड़े का कहना है कि आज बापू जो भी हैं किसी राजनेता की मेहरबानी से नहीं बल्कि ईश्वर की कृपा से हैं। ईश्वर की कृपा से ही पिछले साल गुजरात में हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उन्हें खरोंच तक नहीं आई। उन्होंने आसाराम और उनके ट्रस्ट को लेकर किसी भी अदालत में कोई केस होने से इंकार किया। डॉ। वानेखेड़े का कहना है कि आसाराम या उनके ट्रस्ट ने कोई जमीन नहीं हड़पी है। कई जगहों पर उन्हें श्रद्धालुओं ने जमीन दान में दी है तो कई जगहों पर उन्होंने जमीन खरीदी है। गुजरात में साबरमती के किनारे सत्संग होने पर वह अपना टेंट लगा लेते हैं और सत्संग खत्म होने के बाद उसे हटा लेते हैं। उनका कहना था कि जनहित के कामों के लिए कुछ देर के लिए वह टेंट लगाते हैं और उनके विरोधी इसे जमीन पर कब्जा बता कर दुष्प्रचार करते हैं। उन्होंने टॉफी फेंकने की मशीन से किसी की आंख फूटने को भी गलत बताया और कहा कि वह आदमी बापू से पैसे ऐंठने की फिराक में था। उसने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था जो नाकाम रहा था। आसाराम के प्रवक्ता ने सूरत की जमीन सरकार को वापस करने की बात भी कही। उनका कहना था कि राजोकरी में वे झुग्गियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाते हैं। उन्होंने बिजली चोरी की बात को भी गलत बताया। डॉ। वानखेड़े ने कहा कि गुजरात के आश्रम से बच्चों के गुम होने पर आश्रम के भक्तों ने बच्चों को ढूंढने में परिजनों की मदद की थी। डॉ। वानखेड़े ने कहा कि अमृत प्रजापति आश्रम में गलत कामों में लिप्त था इसलिए उसे नौकरी से निकाल दिया गया। उन्होंने कहा कि पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक राहुल की मौत हार्ट अटैक से हुई थी और वह आश्रम से किसी तरह से जुड़ा नहीं था।
ऐसे ही ढोंगी बाबाओं के चलते विश्व में हमारा मजाक उड़ाया जाता है।अफ़सोस होता है कि पढ़े लिखे लोग भी आसाराम जैसे ढोंगी बाबाओं के चंगुल में पता नहीं कैसे फँस जाते हैं।कम से कम लोगों को अब तो अपनी आँखें तो खोल लेनी चाहिए और ऐसे ढोंगी बाबाओं के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए ।

विवेक मनचन्दा,लखनऊ

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