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आम आदमी को बजट में सिर्फ लॉलीपॉप मिला

मेरे विचार
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इस बार यूपीए 2 का आखिरी और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम अपना आठवां बजट पेश कर रहे थे । बजट पेश करने से पहले पी. चिदंबरम पर आम से खास तक की उम्मीद पर खरा उतरने का दबाव साफ दिख रहा था । एक तरफ कांग्रेस को अपने चुनावी साल में अपने वोट की चिंता सता रही है तो दूसरी तरफ आम आदमी को अपने फायदों की। प्रधानमंत्री सड़क योजना और मनरेगा के लिए जब रकम की बात वित मंत्री कर रहे थे तो उसी वक्त सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। मनरेगा पर 33 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।जब पी. चिदंबरम ने बजट पेश करने की बात कही। वित्त मंत्री पी। चिदंबरम ने कहा कि केवल चीन की इकोनामिक ग्रोथ भारत से तेज है। पी। चिदंबरम ने कहा कि 8 फीसद विकास दर हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। ग्रोथ सबके लिए जरूरी है। मेरा बजट युवाओं के लिए है। बेरोजगारी, शिक्षा और अंतिम व्यक्ति के लिए है। मैंने अल्पसंख्यकों, मजदूरों और आदिवासियों का खास ख्याल रखा है। मैंने बजट में महिलाओं और बच्चों का भी पूरा ख्याल रखा है। कार्यस्थल पर काम करने वाले महिलाओं के लिए खास बजट दिया गया है। महिलाओं की सुरक्षा और कुपोषण हमारे लिए शर्म की बात है। इसलिए बजट में इनके लिए अलग पैसा दिया गया है।
लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर वित्‍तमंत्री पी चिदंबरम ने लोकसभा में लोकलुभावन बजट पेश किया। बजट में आम आदमी विशेषकर महिलाओं, कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा, लघु एवं मध्यम उद्योग समेत सभी क्षेत्रों को कुछ न कुछ देने की कोशिश की गई। परन्तु बजट से मध्यम वर्ग के लिए कोई खास राहत की खबर नहीं है।यह बजट किसी को भी रास नहीं आया। शेयर बाजार ने बजट पर निराशाजनक प्रतिक्रिया द‌ी है। बाजार अच्छे बजट की उमीद में 100 अंको की तेजी के साथ खुला था, जबकि वित्‍तमंत्री के निराशाजनक बजट भाषण के बाद इसमें 300 अंकों से अधिक की गिरावट आ गई और बाजार तीन महीने के निचले स्तर पर बंद हुआ। हालाँकि लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर वित्‍तमंत्री पी चिदंबरम ने लोकसभा में लोकलुभावन बजट पेश करने की कोशिश की थी । बजट में आम आदमी विशेषकर महिलाओं, कृषि, ग्रामीण विकास, शिक्षा, लघु एवं मध्यम उद्योग समेत सभी क्षेत्रों को कुछ न कुछ देने की कोशिश की गई है ।
वित्‍तमंत्री पी चिदंबरम ने लोकसभा में अगले वित्तवर्ष का बजट पेश करते हुए हर वर्ग को खुश करने की कवायद की। आम आदमी और युवाओं के लिए शिक्षा से लेकर नौकरी के अवसर बढा़ने का भरोसा दिलाया।गांवों की ओर विशेष ध्यान देते हुए उन्होंने ग्रामीण विकास से जुडे कार्यक्रमों के लिए 80 हजार 924 करोड़ रुपए का प्रावधान कर ग्रामीण विकास मंत्रालय के बजट में 46 प्रतिशत की अप्रत्याशित बढोत्तरी की।
आम चुनाव से पहले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के अंतिम बजट में महिलाओं को अलग पहचान देने की कोशिश के तहत उनके लिए अलग से देश का पहला सरकारी बैंक खोलने की घोषणा की गई जिसका दलगत भावना से उपर उठकर सभी सांसदों ने मेज थपथपा कर स्वागत किया।
आम आदमी को बजट में सिर्फ टैक्स छूट के नाम पर 2000 रुपये का लॉलीपॉप थमा दिया है जबकि उम्मीद थी की वित्तमंत्री इस बार टैक्स स्लैब का दायरा जरुर बढाएंगे।तमाम अनुमानों को दरकिनार करते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 2013-14 के लिए पेश बजट में टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्लैब पिछले साल ही शुरू किए गए थे, इसलिए इनमें बदलाव की जरूरत नहीं है। 5 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वालों को 2 हजार रुपये की टैक्स छूट मिली है। चिदंबरम ने दो लाख रुपये से पांच लाख रुपये आय वर्ग के टैक्स चुकाने वालों को टैक्स में 2,000 रुपये की छूट देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इसके आधार पर टैक्स फ्री इनकम की सीमा को 2.20 लाख रुपये माना जा सकता है। सरकार के इस कदम से 1.8 करोड़ टैक्स देनेवालों को 3,600 करोड़ रुपये का लाभ होगा।
आम चुनाव से पहले पेश किए गए यूपीए सरकार के अंतिम बजट में राजस्व बढ़ाने के लिए अमीरों पर सुपररिच टैक्स लगाने का ऐलान किया गया है। वित्त मंत्री ने व्यक्तिगत टैक्स देनेवालों के लिए एक करोड़ रुपये से अधिक की टैक्सेबल इनकम पर 10% सरचार्ज लगा दिया। घरेलू और विदेशी कंपनियों पर कर सरचार्ज बढ़ा दिया गया। सिगरेट महंगी हुई है और दो हजार रुपये से अधिक कीमत वाले मोबाइल फोन पर एक्साइज ड्यूटी एक प्रतिशत से बढ़ाकर 6% कर दी गई। इसके अलावा एजुकेशन पर 3% सेस जारी रखा गया है।
चिदंबरम के कुल मिलाकर 16,65,297 करोड़ रुपये के 2013-14 के बजट में 5,55,322 करोड़ रुपये का योजना व्यय और 11,09,975 करोड़ रुपये का योजना भिन्न व्यय प्रस्तावित है। राजकोषीय मजबूती को पूरा समर्थन देते हुए वित्त मंत्री ने अगले वर्ष के राजकोषीय घाटे को अपने वादे के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.8 % रहने का बजट अनुमान रखा है, जबकि चालू वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटे को वह जीडीपी के 5.2 % पर रखने में सफल रहे हैं। इससे पहले वित्त मंत्री ने इसके 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था।
वित्त मंत्री से उम्मीद थी कि वह मकानों के बढ़ते दामों को देखते हुए होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर इनकम टैक्स छूट की सीमा डेढ़ लाख रुपये से बढ़ाएंगे। ऊंची ब्याज दरों और महंगे मकानों की वजह से डेढ़ लाख तक के ही ब्याज पर टैक्स छूट नाकाफी मानी जा रही थी। इस मामले में भी उन्होंने कंजूसी के साथ राहत दी है। केवल ऐसे लोगों को ईएमआई पर एक लाख रुपये का अतिरिक्त टैक्स छूट देने का प्रस्ताव रखा है, जो 25 लाख रुपये तक के होम लोन से पहली बार घर खरीदेंगे। पहले से लिए गए होम लोन पर यह लागू नहीं होगा।
जो लोन वित्तीय वर्ष 2013-14 में लिए जाएंगे, उन्हीं पर यह सुविधा मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे खरीदारों को 2014-15 में एक लाख रुपये तक के ब्याज की अतिरिक्त कटौती की सुविधा भी प्रदान की जाएगी और यदि यह सीमा इस वर्ष समाप्त नहीं होती है, तो शेष राशि का दावा 2015-16 में किया जा सकेगा। यह कटौती इनकम टैक्स ऐक्ट की धारा 24 के तहत अपने कब्जे वाली संपत्तियों के लिए स्वीकृत 1 .50 लाख रुपये की कटौती के अलावा होगी।
बजट 2013-14 में महिलाओं को वित्त मंत्री ने तोहफा दिया है। अक्टूबर माह में पहली बार देश में महिला बैंक खुलेगा। ये बैंक पूरी तरह महिलाएं ही संचालित करेंगी। बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार महिलाओं का विकास चाहती है।ग्रामीण आवासीय परियोजना के लिए 600 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया है।उन्होंने कहा कि खाद्य महंगाई दर चिंता का विषय है। अगली पंचवर्षीय योजना में 8 फीसदी विकास का लक्ष्‍य रखा गया है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में मंदी का दौर है। लेकिन निराश होने की जरूरत नहीं है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। हम लडकियों और महिलाओं को सशक्त और सुरक्षित बनाने के लिए हरसंभव कार्य कर रहे हैं। इसके लिए 1000 करोड रूपये के सरकारी अंशदान से निर्भया निधि बनाये जाने का प्रस्ताव है।’ उन्होंने कहा, ‘हाल में हुई घटनाओं ने हमारे उदार और प्रगतिशील विश्वासों पर एक अमिट काली छाया छोडी है। जैसे ही ज्‍यादा महिलाएं शिक्षा या कार्य अथवा फुर्सत के लिए सार्वजनिक स्थलों पर जाती हैं, उनके खिलाफ हिंसा की अधिक रिपोर्ट मिलती हैं।’
उन्होंने कहा कि हम महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए हरसंभव कदम उठाने के लिए वचनबद्ध हैं।निर्भया फंड की स्थापना की घोषणा का लगभग सभी दलों के सदस्यों ने स्वागत किया।
पर कुल मिलाकर देखा जाए तो वित्त मंत्री का यह बजट आम आदमी को किसी भी तरह की राहत नहीं दे सका है ।इस बजट में आम आदमी को मिला कुछ नहीं बल्कि गया बहुत कुछ है ।आम आदमी को अभी लम्बे समय तक महंगाई की मार से मुक्ति मिलने की उम्मीद तो फ़िलहाल नहीं ही दिख रही है ।महंगाई ,टैक्स, और डीजल,पेट्रोल,गैस की बढती कीमतों से उसका पहले ही दिवाला निकला जा रहा है और ऐसे में इस निराशाजनक बजट से उसकी रही सही उम्मीद भी खत्म हो गई है ।

विवेक मनचन्दा,लखनऊ

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