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मुख्यमंत्री जी यह क्या हो रहा है उत्तर प्रदेश में ?

मेरे विचार
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गत वर्ष उत्तर प्रदेश के विधान सभा के चुनावो में प्रदेश की जनता ने बहुजन समाजवादी पार्टी की नीतियों से आजिज आकर समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया था और अखिलेश यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया था ।अब लगभग समाजवादी पार्टी की सरकार को बने 1 वर्ष पूरा होने को है और इस वर्ष में प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।यहाँ तक की विपक्ष के साथ खुद आजम खान ने इस बात को माना है ।गत शनिवार को उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता राजा भैया के कुंडा क्षेत्र के वलीपुर गांव में देर रात दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी में गांव के प्रधान और सीओ सहित तीन लोगों की मौत हो गई।
दिल दहला देने वाले इस हत्याकांड से प्रदेश की अखिलेश सरकार पर सवालिया निशान लग रहे हैं। इस मामले में शुरू से ही अखिलेश सरकार के खाद्य व रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया शक के घेरे में हैं, क्योंकि जिन दो गुटों में जमीन के झगड़े में झड़प और फायरिंग हुई वो सभी राजा भैया के करीबी हैं। दोनों ही गुट समाजवादी पार्टी के हैं।
प्रतापगढ़ के हथिगवां इलाके में हुई सीओ जिया-उल-हक की हत्या के मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को इस्तीफा देना पड़ा है। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले राजा भैया मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे और उसके बाद कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। एसपी सुप्रीमो मुलायम सिंह ने राजा भैया के इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि इसे मंजूर कर लिया गया है।
गौरतलब है कि कुंडा सर्किल के हथिगवां थाना क्षेत्र में बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद गांव में दो पक्षों में भीषण खूनी संघर्ष हो गया था। इस संघर्ष को रोकने पहुंचे सीओ जिय-उल-हक बदमाशों ने घेर कर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा था और फिर गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी। रविवार को दिन भर चले घटना क्रम और लखनऊ में शासन स्तर पर हुई बैठक के बाद मंजूरी मिलते ही हक की पत्नी परवीन आगा की तहरीर पर हथिगवां थाने में रविवार रात को राजा भैया और उनके तीन करीबियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। राजा भैया को आपराधिक साजिश रचने का और उनके तीन करीबियों को हत्या का मुख्य आरोपी बनाया गया है।
प्रतापगढ़ ‌जिले के बलीपु‌र गांव में डीएसपी जिया उल हक को शनिवार की रात दबंगों ने लाठियों से पीटा, जीप से खींचकर जमीन पर घसीटा, फिर गोली मार दी। उन्हें पैरों में दो गोली मारी गई और फिर एक सीने में।
डीएसपी के अल्पसंख्यक समुदाय के होने की वजह से यह मामला समाजवादी पार्टी के लिए काफी संवेदनशील माना जा रहा है। सरकार इस मामले में कार्रवाई नहीं करती दिखेगी तो मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगने का डर है। पूरे मामले में शहरी विकास मंत्री आजम खान ने प्रतिक्रिया के बाद भी प्रदेश सरकार दबाव में आ गई थी। उन्होंने रविवार को कहा था कि डीएसपी की हत्या ने सरकार को समाज के आगे मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा।
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सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने सीधे राजा भैया पर आरोप लगाए हैं। राजा भैया के सात समर्थकों के खिलाफ हत्या का केस भी दर्ज हुआ है। जिस तरह से रविवार को जियाउल हक के घरवाले और समर्थन में उतरे मुस्लिम बोर्डिंग के छात्रों ने राजा भैया का विरोध किया वह एक नई चिंगारी की तरफ इशारा है। आक्रोश प्रदेश सरकार के खिलाफ भी है, यही वजह है कि मुलायम सिंह यादव मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। इस नई चिंगारी को कांग्रेस समेत दूसरे दलों के नेता हवा देने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रतापगढ़ में शहीद हुए डीएसपी जियाउल हक की मौत के मामले में राज्य सरकार विरोधियों के साथ-साथ अब अपनों के भी निशाने पर आ गई है। प्रदेश के शहरी विकास मंत्री आजम खां ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि डीएसपी की मौत की घटना ने सरकार को
समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा।
अपराध और विवादों से राजा भैया का ये नाता नया नहीं है। कुंडा से लगातार पांच बार निर्दलीय विधायक चुने गए राजा भैया पर अब तक आठ मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें हत्या के प्रयास, डकैती, लूट, बलवा, मारपीट, शांति भंग की आशंका जैसे मामले हैं।
बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह को लोग राजा भैया के नाम से जानते और पहचानते हैं। राजा भैया कुंडा से लगातार पांचवीं बार विधायक बने हैं। वे कुंडा के राज परिवार से आते हैं।
लेकिन राजा के परिवार से आने वाले राजा भैया से यूपी की प्रजा परेशान हैं। समाजवादी पार्टी के करीबी रहने वाले राजा भैया हमेशा ही विवादों में रहे हैं।
फिलहाल राजा भैया यूपी के खाद्य मंत्री हैं। राजा भैया सबसे पहले 1993 में कुंडा से निर्दलीय विधायक चुने गए थे। साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावाती ने राजा भैया को जेल के अंदर भेज दिया था।
मायावती सरकार ने बाद में राजा भैया पर आतंकवाद निरोधक कानून यानी पोटा भी लगा दिया था, लेकिन एक साल बाद साल 2003 में यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार आते ही राजा भैया पर से पोटा हटा लिया गया।
मुलायम की मेहरबानी से राजा भैया जेल से बाहर आए और साल 2005 में मुलायम सरकार में खाद्य मंत्री बने। राजा भैया उनके घर पर छापा मारने वाले पुलिस ऑफिसर आर एस पांडे की सड़क हादसे में मौत मामले में भी संदेह के घेरे में रहे हैं।
साल 2007 में मायावती के सत्ता में आने के बाद राजा भैया पर माया सरकार की खास निगरानी रही। पिछले साल जब यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, तो राजा भैया को जेल मंत्री के साथ खाद्य मंत्री भी बना दिया गया।
लेकिन इसी साल फरवरी में हुए मंत्रीमंडल में हुए फेरबदल में अखिलेश यादव ने राजा भैया से जेल मंत्रालय तो ले लिया, लेकिन बाकी मंत्रालय उनके पास अब भी हैं।
इस पूरे प्रकरण से यह तो साफ़ जाहिर है कि अगर प्रदेश के आला पुलिस अधिकारी ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता की क्या बिसात है।

विवेक मनचन्दा,लखनऊ

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