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लोकसभा चुनाव 2014 की तैयारियों में जुटी भाजपा की मुसीबतें भी कम नहीं हो रही हैं।कभी गडकरी को लेकर पार्टी में घमासान होता है तो कभी मोदी के नाम पर ही पार्टी में अलग -अलग आवाजें उठती हैं।भाजपा में मोदी के बढ़ते कद के बीच वरिष्ठ नेता आडवाणी ने बेहद चौकाने वाले बयान दिया है। उन्होंने एक अंग्रेजी मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में कहा है कि कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा से भी लोगों का मोहभंग हो गया है। आडवाणी ने कर्नाटक विवाद निपटाने के तौरतरीकों पर भी पार्टी की खिंचाई की है। उन्होंने कहा है कि पार्टी से कर्नाटक मामला सुलझाने में गलती हुई।आडवाणी ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में मैंने पाया है कि लोगों का वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी के साथ साथ भाजपा से भी भोहभंग हुआ है। मैं इससे व्यथित हूं। जनता हमारे लोकाचार और अनुशासन की सराहना करती थी। लोगों की आशाओं के विपरीत पिछले कुछ वर्षों में ‘पार्टी विथ अ डिफरेंस’ की हमारी छवि धूमिल हुई है।”कर्नाटक विवाद निपटाने के तौरतरीकों पर भी उन्होंने पार्टी की खिंचाई की है। आडवाणी ने कहा है कि पार्टी से कर्नाटक मामला सुलझाने में गलती हुई।कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। आडवाणी के इस बयान को तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के कार्यकाल की आलोचना के तौर पर देखा जा रहा है।
उधर इसी बीच गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की मुंबई के सोमैया मैदान में होने वाली 17 मार्च की रैली को रद्द कर दिया गया है जिसे कि भारतीय जनता पार्टी की स्थानीय इकाई द्वारा मोदी के सम्मान में किया जाना था।
भाजपा ने अपने फायर ब्रांड मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर एनडीए के अहम सहयोगी जनता दल (यू) को वॉकओवर दे दिया है। नीतीश कुमार के आग्रह पर मुंबई में अगामी रविवार को होने वाली नरेंद्र मोदी की रैली को रद्द कर दिया गया है। इसकी सियासी वजह उसी दिन दिल्ली में नीतीश कुमार की अधिकार रैली का होना है।
17 मार्च को रामलीला मैदान में जदयू की तरफ से अधिकार रैली का आयोजन काफी पहले से तय है। इसी तारीख को मुंबई में नरेंद्र मोदी की रैली भी तय थी। ऐसे में जदयू की रैली का रंग फीका नहीं पड़े, इसके लिए जदयू ने भाजपा से आग्रह किया।
सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है कि इस संबंध में लालकृष्ण आडवाणी से भी चर्चा हुई और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी को रैली रद्द करने के लिए राजी किया। मोदी ने पार्टी की राय से सहमति रखते हुए राजनाथ सिंह को अपनी हां कर दी। इसके बाद मुंबई की रैली को रद्द कर दिया गया। हालांकि पार्टी ने आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की है। पार्टी का कहना है कि चूंकि महाराष्ट्र भयंकर सूखे की चपेट में है। ऐसे में वहां रैली करना उचित नहीं है लिहाजा, पार्टी ने उसे रद्द करने का फैसला लिया है।
कई वरिष्ठ भाजपा नेता भी पार्टी से नाराज चल रहे हैं । खुद को 2014 के लोकसभा चुनावों में जनता का विकल्प बताने में जुटी भारतीय जनता पार्टी की ‘अंतर्कलह ‘ एक बार फिर सामने आ गई है। यशवंत सिन्हा भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में नहीं पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने ना सिर्फ पार्टी कार्यकारिणी, बल्कि लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा देने की धमकी दी है।
यशवंत सिन्हा रवींद्र राय को झारखंड भाजपा का अध्यक्ष बनाए जाने से नाराज हैं। हालांकि मामले को सुलझाने के लिए भाजपा नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भी संपर्क साधा है। प्रदेश की राजनीति को लेकर पहले भी उपेक्षा का आरोप लगा चुके सिन्हा ने कहा कि पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जाती। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में शीर्ष स्तर पर फेरबदल से पहले उनसे सलाह-मशविरा किया जाना चाहिए था।
उधर, मामले को तुल पकड़ता देख पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने यशवंत सिन्हा से बात कर उनसे इस्तीफा न देने का आग्रह किया है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से लगभग दो महीने पहले हुए कर्नाटक स्थानीय निकायों के चुनाव के नतीजे ने भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। चुनावी नतीजों से यह साफ हो गया है कि बी. एस. येदियुरप्पा के अलग होने की वजह से भाजपा को विधानसभा चुनाव में भी भारी नुकसान हो सकता है।हालांकि येदियुरप्पा को भी इस चुनाव में अपेक्षाकृत ज्यादा सीटें नहीं मिली हैं, लेकिन इसकी वजह यह मानी जा रही है कि अभी येदि की पार्टी महज तीन महीने पुरानी ही है। भाजपा का खुद का भी मानना है कि यह हार पार्टी के लिए चेतावनी है, लेकिन पार्टी ने दोहराया है कि विधानसभा चुनाव में नतीजे उसके पक्ष में ही आएंगे।
कर्नाटक के स्थानीय निकायों के चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की हैं, जबकि दूसरे नंबर के लिए भाजपा और जेडीएस में मामूली अंतर है। येदियुरप्पा को 270 सीटें मिली हैं। राज्य की राजनीति को जानने वालों का मानना है कि स्थानीय निकायों के चुनाव में मतदातों ने भाजपा को यह साफ संदेश दिया है कि पांच साल में हुए उसके कामकाज और आपसी लड़ाई से वह खुश नहीं है। इसी नाराजगी की वजह से लोगों को जहां भी भाजपा का अच्छा विकल्प मिला, वहीं उसे वोट दिया।
कर्नाटक में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में अपने शानदार प्रदर्शन से उत्साहित कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की यह बात सही है कि जनता भाजपा से निराश है। पार्टी का मानना है कि इन चुनावों में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन से यह बात साबित होती है।
अभी भी भाजपा ने अगर अपनी इन गलतियों से सबक नहीं लिया तो आनेवाले दिनों में उसकी मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं ।भाजपा को अगर दिल्ली की गद्दी पानी है तो उसे पार्टी के अन्दर चल रहे असंतोष के साथ वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी को भी दूर करना होगा ।
विवेक मनचन्दा,लखनऊ
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