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खोजी पत्रकारिता के लिए मशहूर कोबरा पोस्ट ने काले धन को सफ़ेद करने के लिए प्राइवेट बैकों की मदद से चल रहे हवाला कारोबार को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
‘ऑपरेशन रेड स्पाइडर’ के जरिए बताया है कि देश के तीन सबसे बड़े प्राइवेट बैंकों एचडीफीसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक यह गोरखधंधा बेरोकटोक कर रहे हैं। कोबरा पोस्ट के अनिरुद्ध बहल ने बताया कि स्टिंग के दौरान उनके अंडरकवर रिपोर्टरों ने एक काल्पनिक नेता का एजेंट बनकर इन बैकों के अधिकारियों से बात की तो वे तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ब्लैक मनी को खपाने के लिए तैयार हो गए। खास बात यह है कि ऐसा करने वाले ग्राहकों से केवाईसी (नो योर कस्टमर) और पैन तक नहीं मांगे जाते हैं। इससे पहले आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ऐसा ही आरोप एचएसबीसी बैंक पर लगा चुके हैं, लेकिन उस पर कोई जांच नहीं हुई।
उनका दावा है कि देश के कुछ बड़े निजी बैंक काला धन नकद लेते हैं और उसे बीमा और सोने में निवेश करते हैं।वेबसाइट कोबरा पोस्ट ने गुरुवार को अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि एचडीएफसी बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक, एक्सिस बैंक काले धन को अपनी निवेश योजनाओं में डालते हैं। इसके लिए वे रिजर्व बैंक की शर्तो का उल्लंघन करते हुए बिना पैन कार्ड के ही खाता खोलते हैं।
कोबरा पोस्ट के अनुसार बैंक बहुत ही चालाकी से काले धन को सफेद करते हैं। ग्राहकों के काले पैसे को छोट-छोटे टुकड़ों में बैंक में जमा किया जाता है और इसे सफेद करने के लिए बेनामी खाते का इस्तेमाल करते हैं। आरोप ये भी है कि लेन-देन दिखाने के लिए दूसरे ग्राहकों के खातों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
इसके साथ ही वेबसाइट का दावा है कि काले धन को सफेद बनाने के लिए बैंक ड्राफ्ट बनाते हैं जिसका जिक्र ग्राहक के खाते में नहीं होता है। बैंक काला धन देने वाले ग्राहकों की पहचान गुप्त रखते हैं तथा जरूरत के हिसाब अकाउंट खोले और बंद किए जाते हैं।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि बैंक ग्राहकों को अवैध नगदी रखने के लिए लॉकर देता है, जिसमें करोड़ों रुपये कैश रखे जाते हैं। इसके साथ ही बताया गया है कि काले धन को विदेश भेजने में भी बैंक मदद करता है।
उधर, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक ने आरोप को गलत बताया है। एचडीएफसी ने कहा कि उन पर जो आरोप लगाए गए हैं वे आधारहीन हैं। वहीं आईसीआईसीआई बैंक ने कहा है कि वह नियामक एवं कानून के उच्च स्तर को अपनाते हुए व्यापार करता है। समूह के सभी कर्मचारी आवश्यकतानुसार प्रशिक्षित हैं और वे कंपनी के कोड ऑफ कंडक्ट का पूरी तरह से पालन करते हैं। बैंक ने कहा है कि उसने आरोप को लेकर एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनाई है जो दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगा।
इन बैंकों के द्वारा चलाए जा रहे मनी लाउन्ड्रिंग रैकेट को कोबरा पोस्ट ने सैंकड़ों घंटो के विडियो फुटेज में कैद किया है। कोबरा पोस्ट का कहना है कि उसके पास स्पष्ट, मजबूत और अकाट्य सबूत हैं। इस बीच, खुलासे के बाद आईसीआईसीआई बैंक ने मीडिया रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए उच्चस्तरीय जांच कमिटी बना दी है, जो दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देगी। बैंक ने बयान जारी कर कहा है,’हम सभी नियमों और नियामकों के निर्देशों का पालन करते हुए कारोबार करते हैं। ग्रुप के सभी कर्मचारियों को भी इसके लिए ट्रेंड किया गया है और उनके लिए अनिवार्य है कि वे केवाईसी व ऐंटि मनी लॉउन्ड्रिंग नॉर्म्स का पालन करें।’ एचडीएफसी बैंक ने भी कहा है कि वह आरोपों की जांच करा रही है। एक्सिस बैंक ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
कोबरा पोस्ट की टीम इन बैंकों की दर्जनों ब्रांचों और इनकी सहयोगी बीमा कंपनियों के दफ्तरों में गई। तहकीकात के दौरान पता चला कि मनी लाउन्ड्रिंग का गोरखधंधा करने में ये बैंक हिचकते नहीं हैं। अनिरुद्ध बहल के मुताबिक, ‘इन बैंकों की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग की सेवाओं के लिए बिल्कुल खुले तौर पर पेशकश की जाती है। वैसे कस्टमर्स को भी ये सुविधाएं दी जाती हैं, जो गैरकानूनी रकम निवेश करना चाहते हैं। गैर-कानूनी तरीके से कमाई गई नकद राशि को निवेश करने के लिए कई बेखौफ विकल्प सुझाए गए।’
कोबरा पोस्ट का दावा है, ‘आसानी से पैसे जमा करवाने और ज्यादा मुनाफे के लिए ये बैंक पूरी तरह से नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। बैंकों के मैनेजमेंट जानबूझ कर सुनियाजोत तरीके से इनकम टैक्स ऐक्ट, फेमा, रिजर्व बैक के मानदंडों, केवाईसी के नियमों, बैंकिंग ऐक्ट, प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) की धज्जियां उड़ा रहे हैं।’
स्टिंग के दौरान कोबरा पोस्ट के अंडरकवर रिपोर्टर ने इन बैंकों के कई अधिकारियों से फोन पर बात की और मिलकर एक काल्पनिक गैरकानूनी प्रस्ताव रखा। रिपोर्टर ने बताया कि उनके रिश्तेदार एक नेता के पास करोड़ों की ब्लैक मनी है और वह आपके बैंक में निवेश करना चाहते हैं। उनका मकसद इसे वाइट करना है। कोबरा पोस्ट का दावा है कि जितने अधिकारियों से बात हुई सभी ने गैरकानूनी प्रस्ताव का खुले दिल से स्वागत किया और ब्लैक मनी को वाइट करने के तमाम नुस्खे बताए। कोबरा पोस्ट का दावा है कि इस फर्जीवाड़े में इन बैंकों के मैनेजमेंट में ऊपर से नीचे तक सभी लोग शामिल हैं।
इन बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने स्टिंग के दौरान कोबरा पोस्ट के पत्रकारों को बगैर किसी हिचक के बताया कि किस तरह इंश्योरेंस और दूसरे इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट की मदद से ब्लैक मनी की बड़ी से बड़ी रकम को वाइट मनी में बदला जा सकता है। तहकीकात के दौरान बैंक कर्मियों ने रेग्युलेटर्स की आंखों में धूल झोंकने के सारे दांवपेच बताए।
इंश्योरेंस और दूसरे इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट की मदद से ब्लैक मनी की बड़ी से बड़ी रकम को वाइट मनी में बदला जा सकता है।नकद के रूप में बड़ी रकम इन्श्योरेंस प्रॉडक्ट और सोने में निवेश कर सकते हैं।नकद को बाहर भेजने के लिए एकाउंट खोल सकते हैं और निवेश की दूसरी योजनाओं की मदद ले सकते हैं।ब्लैक मनी को वाइट में बदलने के लिए बेनामी खातों का इस्तेमाल कर सकते हैं।ब्लैक मनी को ठिकाने लगाने के लिए दूसरे कस्टमरों के खातों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।इसके लिए खुद के बैंक या किसी और के बैंक से डिमांड ड्राफ्ट भी बनाया जा सकता है।
गैरकानूनी नकद राशि को रखने के लिए लॉकर दिया जाता है।बैंक के अधिकारी और कर्मचारी ब्लैक मनी के लिए कस्टमर के घर पर व्यक्तिगत तौर पर जाते हैं और इस रकम को गिनने के लिए मशीन भी देते हैं।फॉर्म 60 जैसे प्रावधानों का इस्तेमाल गैरकानूनी रकम को जमा करने और एकाउंट के जरिए इसे रुट करने के लिए होता है।ब्लैक मनी को विदेश में ट्रांसफर करने के लिए एनआरई (नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल) और एनआरओ (नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी) एकाउंट की मदद ली जाती है।
बैंक की आम प्रक्रियाओं से अलग हट कर रकम को टेलिग्राफिकली ट्रांसफर और दूसरे जरिए से भेजा जाता है।
कोबरा का ये भी दावा है कि आरोपी बैंक आयकर विभाग से जानकारियां छुपा रहे हैं और रिज़र्व बैंक को भी सही जानकारी नहीं दी जा रही है। हालात ये हैं कि काम निपटाने के लिए ये बैंक तय वक्त के बाद भी देर तक काम कर रहे हैं। और घरों में नकदी की गिनती का काम हो रहा है।
एचडीफीसी बैंक के अधिकारी ने कोबरा पोस्ट के अंडरकवर रिपोर्टर को ब्लैक मनी रखने के लिए लॉकर की पेशकश की। बैंक ऐसे ग्राहकों को तब बुलाता है जब बैंक आम ग्राहकों के लिए बंद हो जाता है ताकि उनकी पहचान गुप्त रखी जा सके और उनकी करतूतों पर पर्दा डाला जा सके।
आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारी तो एक कदम आगे जाकर कस्टमर को बिजनेसमैन और किसान बातने के लिए लिए उपयुक्त प्रोफाइल बनाने को तैयार थे, ताकि निवेश को लेकर कोई सवाल न उठे।
एक्सिस बैंक के अधिकारियों ने ब्लैक मनी के फर्जीवाड़े के लिए औरों से अलग तरीका बताया। ब्लैक मनी को जमा करने और इसके रूट करने के लिए संड्री एकाउंट के इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। संडी एकाउंट बैंक का अपना एकाउंट होता है।
इसके साथ ही कुछ पैसे लेकर बैंक के दूसरे कस्टमर के खातों का इस्तेमाल कर उसकी मदद से विदेश में पैसे भेजने का भी सुझाव दिया।
इसके अलावा फर्जी कंपनियों के नाम पर विदेश में कारोबार या फिर सैर-सपाटे के लिए पैसे भेजने का सुझाव भी दिया।
कोबरा पोस्ट के पास सैंकड़ों घंटों के विडियो फुटेज हैं, जिनमें रिपोर्टर की उपरोक्त तीन बैंकों के कर्मचारियों की बातचीत दिखाई गई है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अनिरुद्ध बहल ने कहा कि वह फुटेज किसी भी ऐसी अधिकृत सरकारी एजेंसी को सौंपने को तैयार हैं, जो इस फर्जीवाड़े की जांच करे। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे अकाट्य सबूत को फर्जी करार देने के लिए ये बैंक जोरदार अभियान चलाएंगे। अनिरुद्ध ने जोर देकर कहा कि हम सभी पक्षो को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि ऑपरेशन रेड स्पाइडर में कुछ भी गढ़ा हुआ और नकली नहीं है।
काले धन के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को पिछले एक दशक में 123 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। अकेले वर्ष 2010 में 1 .6 अरब डॉलर की अवैध राशि देश से बाहर गई है।यह खुलासा वाशिंगटन स्थित शोध संगठन ‘ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी’ (जीएफआई) की रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट में भारत को आठवां सबसे बड़ा ऐसा देश बताया गया है, जहां से सबसे अधिक अवैध पूंजी बाहर गई है। इस मामले में भारत का स्थान चीन, मेक्सिको, मलेशिया, सऊदी अरब, रूस, फिलीपीन्स तथा नाइजीरिया के बाद आता है। ‘इलिसिट फाइनेंशियल फ्लोज फ्रॉम डेवलपिंग कंट्रीज: 2001-2010’ में कहा गया है कि वर्ष 2010 में विकासशील तथा उभरती अर्थव्यवस्थाओं से 858।8 अरब डॉलर की अवैध राशि बाहर गई, जबकि वर्ष 2008 में जब दुनिया वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही थी, यह राशि 871 .3 अरब डॉलर थी।
जीएफआई के निदेशक रेमंड बेकर ने कहा, ‘हाल के वर्षों में हालांकि प्रगति हुई है, लेकिन भारत को काले धन की वजह से बड़ी राशि का नुकसान हुआ है।’ रिपोर्ट के सह लेखक और अर्थशास्त्री डेव कर ने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 123 अरब डॉलर का नुकसान एक बड़ा नुकसान है। यह राशि शिक्षा, स्वास्थ्य तथा देश के बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने के लिए इस्तेमाल में लाई जा सकती थी।’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विकासशील देशों को काले धन के कारण वर्ष 2001 से 2010 के बीच 58 .60 खरब डॉलर का नुकसान हुआ।
कोबरा पोस्ट के इस खुलासे के बाद सियासी गलियारों में खलबली मच गई है। सवालों के घेरे में आए बैंकों में से कुछ ने सफाई भी दी है।
भाजपा नेता और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आरोप लगाया है कि मौजूदा केंद्र सरकार ब्लैक मनी के मसले पर गंभीर नहीं है। उन्होंने आरोपों के घेरे में आए प्राइवेट बैंकों के अधिकारियों को दंडित करने की मांग की है। सिन्हा का कहना है कि बैंकों के खिलाफ सबूत मिलने पर उनके लाइसेंस रद्द कर देना चाहिए।
आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इन बैंकों पर तुरंत छापेमारी की मांग की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी चिदम्बरम का इस्तीफा भी मांगा है।
केजरीवाल के सहयोगी मनीष सिसौदिया ने इन बैंकों का लाइसेंस रद्द करने की मांग की है। हालांकि उन्होंने आशंका जताई है कि सरकार ऐसा नहीं करेगी क्योंकि ये बैंक राजनेताओं के ब्लैक मनी को सफेद बनाने में मदद करते हैं।
बीएसपी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की है।लेफ्ट पार्टियों का कहना है कि ऐसे बैंकों को बंद कर देना चाहिए।
आईसीआईसीआई बैंक का कहना है कि स्टिंग ऑपरेशन में किए गए दावों की जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी बनाई जा रही है जो 2 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देगी। बैंक का कहना है कि बैंक में नियम-कानून के मुताबिक ही लेनदेन होता है।
बैंक ने बयान जारी कर कहा है, ‘हम सभी नियमों और नियामकों के निर्देशों का पालन करते हुए कारोबार करते हैं। ग्रुप के सभी कर्मचारियों को भी इसके लिए ट्रेंड किया गया है और उनके लिए अनिवार्य है कि वे केवाईसी और एंटी मनी लॉउन्ड्रिंग नॉर्म्स का पालन करें।’
एक्सिस बैंक की तरफ से कहा गया है कि उनके संज्ञान में कोई तथ्य आएगा तो उसकी विधिवत जांच होगी। बैंक का कहना है, ‘एक्सिस बैंक नियमों का पूरी तरह पालन करता है। साथ ही कॉर्पोरेट गवर्नेंस के उच्च मानकों का पालन किया जाता है। यदि इन मानकों में कोई कभी आती है तो इसे गंभीरता से लिया जाता है।’
एचडीएफसी बैंक की तरफ से कहा गया है कि दावों में कोई तथ्य नहीं है और बाद में अपना पक्ष रखेंगे।
भारत में चल रहे एचएसबीसी के कारोबार में भी तमाम तरह की विसंगतियां पाई गई हैं। खासकरके बड़े स्तर पर चल रहे संदिग्ध वितीय लेन-देन के मामलों में। कई बार चेतावनी देने के बाद भी उसके द्वारा उनका निराकरण नहीं किया गया है। ऐसे ही कुछके मामलों में भारतीय रिजर्व बैंक की जाँच अभी भी जारी है।
एचएसबीसी पर पिछले दिनों केजरीवाल के द्वारा लगाये गये आरोपों ने एक बात तो साफ कर दिया है कि भारत में बैंकिंग नियामक प्रणाली अंदर से एकदम खोखला है। वह विदेशी और निजी बैंकों पर लगाम लगाने में असक्षम है। इसी वजह से विदेशी व निजी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं। जाहिर है सिर्फ सरकारी बैंकों पर नियम-कानून का चाबुक चलाने से बात नहीं बनेगी। आज काले धन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति डावांडोल है। काला धन को वैद्य बनाना एक गंभीर आरोप है। किसी बैंक का इस गलत प्रक्रिया में शमिल होना अर्थव्यवस्था एवं देश दोनों के लिए खतरे की घंटी है।
विवेक मनचन्दा,लखनऊ
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