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कांग्रेस और भाजपा इस संकट की घड़ी में तुच्छ राजनीती पर उतर आई हैं वह बेहद ही शर्मनाक और निंदनीय है

मेरे विचार
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देश में एक तरफ उत्तराखंड की त्रासदी पर मातम मनाया जा रहा है तो दूसरी ओर राजनीतिक दल इस मुद्दे पर भी सियासत का कोई मौका नहीं चूक रहे।कांग्रेस ने इस त्रासदी के बहाने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला तो भाजपा भी पलटवार करने से नहीं चूकी।कांग्रेस ने मोदी के उत्तराखंड के दौरे को आपदा पर्यटन बताते हुए उन्हें खुद को ‘रैम्बो’ बताने से बाज आने की नसीहत दी।मनीष तिवारी ने उत्तराखंड त्रासदी के बहाने मोदी पर हमला बोला।उन्होंने कहा कि सरकार की पूरी मशीनरी दिन रात की मेहनत के बाद 10 हजार लोगों को बचा पाई, मगर मोदी और उनके लोग एक ही दिन में 15 हजार लोगों को बचाने का दावा कर रहे हैं।तिवारी ने पूछा कि क्या मोदी और उनके लोग ‘रैम्बो’ हैं? क्योंकि ऐसा तो रैम्बो ही कर सकता है। आपदा पर्यटन पर गए मोदी और उनकी टीम अगर खुद को रैम्बो समझते हैं तो यह सस्ती लोकप्रियता हासिल करने से अधिक कुछ नहीं है।
दिग्विजय ने मोदी का नाम लिए बिना उन पर लाशों पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वहां राहत कार्यों में लगे जवानों का साथ देने का समय है न कि लाशों पर राजनीति करने का।
कांग्रेस के हमले पर पलटवार करते हुए भाजपा के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि ऐसा लगता है कि पूरी की पूरी कांग्रेस और सरकार मोदी से बुरी तरह डर गई है। ये जमीनी हकीकत को समझना नहीं चाहते, इसलिए मानसिक संतुलन खो बैठे हैं।
नकवी ने कहा कि मीडिया को नसीहत देने के बदले दिग्विजय सिंह भ्रष्टाचार में डूबी अपनी सरकार और पार्टी को कार्यशैली बदलने और आम लोगों के बारे में सोचने की नसीहत देते तो अच्छा होता।
उत्तराखंड में भयंकर प्राकृतिक आपदा के बाद जहां आमजन गम, दर्द और गुस्से में हैं, वहीं देश की दो बड़ी सियासी पार्टियां राहत और बचाव को लेकर तू-तू मैं-मैं पर उतर आई है। दोनों एक-दूसरे पर राहत के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगा रही हैं।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी राहत दल के साथ उत्तराखंड पहुंचे और 15 हजार गुजरातियों को बचाने और उन्हें गंतव्य स्थल तक पहुंचाने का दावा किया तो तुरंत कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रिया आ गई। उन्होंने मोदी को ‘फेकू’ बताते हुए सेना द्वारा बचाए गए लोगों का क्रेडिट खुद लेने का आरोप जड़ दिया। इस पर भाजपा कहां चूकने वाली थी। उसने कहा कि वहां लोग जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं और यहां कांग्रेस उसे सियासी रंग देने में लगी है।
अब ऐसी ही कुछ स्थिति कांग्रेस के साथ हो गई है। जो आरोप उसने भाजपा पर लगाए थे अब वही आरोप उस पर लगाए जा रहे हैं। भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा राहत सामग्रियों से लदे 25 ट्रक को कांग्रेसी झंडा दिखाकर उत्तराखंड रवाना करने को राजनीतिक स्टंट करार दिया है। भाजपा ने सवाल किया है कि ये कोई उत्सव या कार्यक्रम नहीं है जिसके लिए इतना तामझाम किया जाए। भाजपानेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आपदा की घड़ी में राहुल विदेश में बैठे थे। इतने तानों के बाद तो राहुल लौटे हैं। अब कांग्रेस से अपील है कि वो राहत के नाम पर राजनीति न करें। वहीं, दूसरी ओर, ट्विटर पर भी लोग कांग्रेस पर तंज कस रहे हैं।
उत्‍तराखंड में राहत कार्यों में लापरवाही बरते जाने का आरोप लगाते हुए बीजेपी प्रवक्‍ता मीनाक्षी लेखी ने पूछा था कि केंद्र सरकार बचाव कार्यों के लिए उत्‍तराखंड में और हेलिकॉप्‍टर क्‍यों नहीं लगा रही है? उन्‍होंने कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘राहुल गांधी कहां हैं? ऐसे वक्‍त में जब उत्‍तराखंड में इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदा आई है तो वह भारत क्‍यों नहीं लौटे हैं? राहुल गांधी को विदेश में ही रहना चाहिए, क्‍योंकि वो यहां आकर भी कुछ नहीं कर सकते। जहां तक नरेंद्र मोदी का सवाल है तो उन्‍होंने आपदा प्रबंधन के लिए बेस्‍ट टीम भेजी है।
देहरादून पहुंचे गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने किसी भी वीआइपी के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में उतरने पर रोक लगा दी। उनके बयान को मोदी को रोकने का प्रयास माना गया और इसको लेकर दोनों पक्षों से सियासत भी गरमाई। मगर खुद मोदी ने भी इस बारे में पूछे जाने पर इस आपदा की स्थिति में कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया।
वहीं, शिंदे और कांग्रेस ने भी स्पष्ट किया कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को छोड़कर उनके भी किसी नेता को हवाई सर्वेक्षण के अलावा कहीं उतरने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
उत्तराखंड में आफत आने के 8 दिन बाद आखिरकार कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी नजर आ ही गए। उत्तराखंड आपदा पीड़ितों के लिए राहत समाग्री भेजे जाने के मौके पर यूपीए अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के साथ राहुल भी मंच पर मौजूद थे। सोनिया ने झंडी दिखाकर राहत सामग्रियों से लदे ट्रकों को रवाना किया।कांग्रेस मुख्यालय में शीर्ष कांग्रेसी नेता उपस्थित थे जहां सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी ने राहत सामग्री से लदे 24 ट्रकों को हरी झंडी दिखाया। यह उन 125 ट्रकों के अतिरिक्त है जो पहले ही देहरादून भेजे जा चुके हैं।
इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, वित्त मंत्री पी चिदंबरम, सड़क और परिवहन मंत्री ऑस्कर फर्नांडिज और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल, कांग्रेस महासचिव अंबिका सोनी और अजय माकन भी मौजूद थे।
अब सवाल यह उठ रहा है कि पीड़ितों को मदद भेजने के लिए जिस तरह के सियासी ताम-झाम का सहारा लिया गया, क्या इस त्रासदी पर कांग्रेस सियासत नहीं कर रही है?
गौर करने वाली बात है कि अब तक कांग्रेस के कई नेता बीजेपी पर उत्तराखंड में आई तबाही के नाम पर सियासत करने का आरोप लगाते रहे हैं। दिग्विजय सिंह से लेकर मनीष तिवारी और सुशील शिंदे से लेकर पृथ्वीराज चव्हाण ने बीजेपी को इस मुद्दे पर घेरा है। इन सभी नेताओं ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनीति करने का आरोप लगाया था।
दरअसल, मीडिया में ऐसी खबरें आईं कि मोदी शुक्रवार को अपनी स्पेशल ‘रेस्क्यू टीम’ के साथ देहरादून पहुंचे थे और दो दिन में में वे करीब 15 हजार गुजराती श्रद्धालुओं को वहां से बचा ले गए।
दिग्विजय सिंह ने निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि मोदी की किसी तरह की पहल से पहले ही लोग बचाए जा चुके थे पर वे इसका श्रेय खुद ले रहे हैं। तीखा हमला बोलते हुए कांग्रेस महासचिव ने कहा था कि ‘फेंकू’ अपने काम में लग गया।
वहीं, मनीष तिवारी ने कहा है कि संकट की इस घड़ी में ‘आपदा पर्यटन’ (डिजास्टर टूरिज्म) पर गए किसी व्यक्ति को सस्ती लोकप्रियता हासिल करने से बचना चाहिए।
अब आज जिस तरह से कांग्रेस ने टेंट लगाकर और हरी झंडी दिखाकर राहत सामग्री से लदे ट्रकों को रवाना किया, उसे सियासत नहीं कहेंगे तो क्‍या कहेंगे।
जिस तरह से दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियाँ इस संकट की घड़ी में तुच्छ राजनीती पर उतर आई हैं वह बेहद ही शर्मनाक और निंदनीय है इसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए कम है।
विवेक मनचन्दा,लखनऊ

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